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Thursday 20 April 2017

मेरे आसू से पुलिस के पैर भींग गए पर उसे रहम नहीं आया

मै उर्मिला देवी उम्र 35 वर्ष पति सुरेश ठाकुर ग्राम लोचनपुर पोस्ट कोडरमा थाना कोडरमा जिला कोडरमा झारखण्ड की मूल निवासी हु!
मेरी घटना यह है की मेरे परिवार में चार बच्चे दो लड़का दो लड़की है सब पढ़ रहे है मेरे पति खैनी (तम्बाकू) बेचने का काम करते है हमलोग बहुत ही गरीबी में रहने वाले लोग है एक दिन कमाना और एक दिन खाना होता है किसी तरह मेहनत मजदूरी कर के अपना पेट चलाते है,
मेरे घर के बगल में कर्पूरी ठाकुर पिता बालेश्वर ठाकुर ओ उसकी पत्नी बिंदु देवी विजय ठाकुर पिता स्व0 सुखदेव ठाकुर व् उसकी पत्नी पुष्पा देवी ये लोग रहते है, कर्पूरी ठाकुर के पिता बालेश्वर ठाकुर का मृत्यु होने के दिन ही कर्पूरी ठाकुर कही जा रहे थे की रस्ते में उनका सड़क दुर्घटना में पैर टूट गया, जिसका आरोप मेरे सर लगा कर हमें डायन इत्यादि कह कर प्रताड़ित करना शुरू कर दिए और हमें गाली गलौज करने लगे,बात बात पर गाली देते और मेरा जमीन को अपना जमीन बता कर हमें प्रताड़ित करने लगे, एक दिन मै घर में अकेली थी और हम झाड़ू लगा रही थी मेरे पति सुबह सुबह बहार गए थे की तभी वो सभी मेरे घर के सामने आ गए और विजय ठाकुर खड़ा हो कर बोला की मारो इसको जो होगा हम देख लेंगे, और उसके इतना कहते ही पुष्पा देवी बिंदु देवी ये लोग मेरा बाल पकड़ कर पटक दिए और पटकने के बाद लात घुसा और लाठी से बहुत पिटे उस समय मेरा कपडा इधर उधर हो गया और वो लोग खड़ा हो कर देख रहे थे, मेरा घर का आंगन खून से लाल हो गया था, और हमें चिल्ला चिल्ला कर  गन्दा गन्दा गाली दे रहे थे और कह रहे थे तुम मेरे बाप की जान ले ली और मेरा पैर तुड़वा दी,हम पूरी तरह घायल थे किसी तरह उठा कर बहार निकल रहे थे की वो लोग पजीर हमें पटक दिया और बेहोश हो गए तो इतने में मेरे गोयतनी (बड़ी भाभी) का बेटा आदित्य हमें कोडरमा थाना ले जाने ले जाने के लिए सड़क पर आया तो वहा खड़ा विजय ठाकुर बोला की तुम जाओ जहा जाना नहीं कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ेगा, सदर में मेरा इतना पहुच है की तुमको जहर का सुई दिलवा कर मार देंगे, और पुलिस मेरा कुछ नहीं बिगाड़ेगा, ऐसे ऐसे पुलिस को हम अपने जीब में रखते है, यह सब सुन कर मेरा दिल और जोर से कापने लगा की ये सरकारी मास्टर है हो सकता है कुछ भी करा दे, और डरते डरते हम थाना गए गया जहा पर हम अपनी बात कहे तो पुलिस हमें बोला झूठ बोलती है खुद माथा फाड़ कर चली आई हो जाओ सदर अस्पताल और हमें भेज दिया,यह सुन कर हमें लगा की कौन जानवर के पास चले आये, जो ठीक से मेरा सुना भी नहीं,और हम अस्पताल पहुचे, जिसके बाद मेरे पति अस्पताल पहुचे तब उन्हें सारी बात कह सुनाइ, इस बात को ले कर वो पुलिस के पास गए पर पुलिस उनकी एक भी नहीं सुनता था, तीन दीं बाद पुलिस जिसका नाम कपिल मुनी राम था वह  हॉस्पिटल में मेरा बयांन लेने आया, उस समय हम वो सब चोट और जख्म दिखाए जहा से हम पूरी तरह घायल हुए थे, हम उठ भी नहीं पा रहे थे फिर भी उठ कर दिखाए इस लिए की हमें न्याय मिलेगा, हमसे सब पुच कर पुलिस चला गया, और हम अस्पताल में पड़े रह गए, 6 दिन बाद अस्पताल से हमें छुट्टी मिला तो हम घर आये, उसके बाद मेरे पति थाना जा कर केस (प्राथमिकी) का पेपर मांग रहे थे पर वो दे नहीं रहा था, जब हम पेपर मांगने गए तो हमको कोने में बुला कर कहा की उससे हम पञ्च हज़ार दिला देते है क्या केस लड़ेगी पैसा ले कर समझौता कर लो,हम बोले की सर हम समझौता नहीं करेंगे कल फिर मारेगा और 10000 हज़ार दे कर समझौता कर लेगा, उसका यह बात सुनते ही हम उस पुलिस वाले का पैर पकड़ लिए और रोने लगे और बोले की सर वो लोग बहुत पहुच वाला आदमी है मार देगा और कही फेक देगा,उन लोगो का नौकरी है, और पार्टी वाला आदमी है, सर यह सब कहते कहते मेरे आसू से पुलिस वाले का पैर भींग गया जिसे हम अपने आँचल से पोछ दिए, और वो हमको उठाते हुए बोला की रोने धोने से कुछ नहीं होगा, वो जब भी आता है हमको पैसा दे कर जाता है हम किसका सुने, उस समय हमको लगा ये पुलिस है या कसाई इसके दिल में थोडा भी दया नहीं है आँख का पानी गिर गया है पुलिस वाले का, और हम यह सब सोचते हुए निराश हो कर घर चली आई, और पुलिस किसी को गिरफ्तार भी नहीं किया, वो लोग सेर की तरह अपना नाक उचा कर लिए थे, पर हमें ये नहीं पता था की वो लोग मेरे खिलाफ उसी घटना को उल्टा कर के कोर्ट में केस कर दिए है, कुछ दिन बाद हमें कोर्ट से नोटिस मिला और पुलिस हमें पकड़ कर जेल भेज दिया,15 दिन जील में रहने के बाद मेरे बाहर आने से पहले ही उन लोगो ने पुलिस को फिर एक आवेदन दिया और हमें गिरफ्तार करवाने की बात कही, तब से पुलिस रूज रात को मेरे घर आ जाता है और हमें तंग तबाह कर रहा है, पुलिस के इस तरह रात में घर आने से मेरा बच्चा सब पूरा डर गया है और स्कुल भी जाने से कतराने लगा है, बहुत समझा कर स्कुल भेजती हु!
अब हमें समझ में नहीं आ रहा है की कहा और किसके पास जाए जो मेरी बात को सुने और हमें न्याय दे, ये तो ऐसे हो गया की जिसकी लाठी उसकी भैस, मार भी खाए हम अस्पताल में भारती भी रहे हम, केस किये और हम और जेल भी गए हम, उस पुलिस वाले का भगवन ही इंसाफ करेगा उसके घर में भी मा बेटी होगी उसको गरीब का हाय लगेगा, जो हम बारीब के साथ अन्याय किया है, उसका इंसाफ भगवन करेगा,हमें जो भोगना था वो भोग लिए,अब न्याय की उम्मीद नहीं दिखत, वो लोग पैसे से और पहुच से बहुत बड़े है और हमर मार पीट कर मेरा जमीन हड़पना चाहते है इस लिए इस तरह डायन भुत का कह कर मेरे साथ मार पिट करते है!

पीड़ित का हस्ताक्षर
उर्मिला देवी

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