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Tuesday, 7 November 2017

गांधी के देश की आत्मा आज भी तड़प रही..नेता ऑक्सीजन लुटने में लगे..


झारखंड मे बिरहोर प्रजाति के लोगो का उत्थान के लिये सरकार गम्भीर नही दिख रही !

कई एनजीओ चल रहे पर ज़मीन पर विकास करने के जगह अपने विकास को प्रथमिकता का आधार बनाये हुए हैं !

झारखंड के मंत्री से लेकर पदाधिकारी भी बिरहोर जाति के विकास को लेकर समर्पित ढंग से कार्य नही कर रही !

अंकु कुमार गोस्वामी डोमचाच चुनाव जब नजदीक आता हैं, तो नेता अपने लोक- लुभावने वादों के साथ लंबी घोषणा पत्र लेकर जनता का विश्वास जीतने मे जुट जाते हैं,विकास के नारे,,,,,, गूँजने लगते हैं,जनता के दिमाग मे हर पार्टी के नेता यह सेट कर विश्वास दिलाना चाहती हैं की मेरी पार्टी ही विकास कर सकती हैं, जब नेता उनका विश्वास जीतकर वोट लेने मे सफल होकर गद्दी पर बैठ जाते हैं, तो फिर जनता की सूद लेना जरुरी नही समझते नेता, अपने सपने साकार करने मे लग जाते हैं, देश का दिल कहा जाने वाला गाँव विकास की उदासीनता का दंश झेलने पर विवश नजर आते हैं,जब रांची एक्सप्रेस की पड़ताल शुरू हुई,नेता जो विकास का हल्ला करते हैं उसके विकास की पड़ताल एक सुदूरवर्ती गाँव जो कोडरमा जिला अब्रख नगरी के डोमचाच प्रखंड पंचायत मसनोडीह बिरर्होर टोला जियोरायडीह से शुरू किया गया तो चौंकाने वाले मुद्दे खुलकर आना शुरु हो गया,पूरे झारखंड मे अभी लगभग बिरर्होर की संख्या 7 हजार पाँच सौ चौदह हैं, जबकि अकेले कोडरमा जिले मे 3 हजार लगभग हैं, और जियोरायडीह मे तीन सौ तकरीबन बिरर्होर गत 25 वर्षों से रह कर जीवन यापन कर रहे हैं,
इतने वर्ष बीतने के बाद भी उनके टोला जहाँ वह बसते हैं, पक्की सड़क का निर्माण जो मुख्य गाँव से जोड़ता हैं उसका निर्माण नही हो सका,मिट्टी मोरम से बना कच्चिया सड़क आधा  कई माह पूर्व बरसात के पानी के कटाव मे बह गया,जहाँ आये दिन दुर्घटना की आशंका बनी रहती हैं,आने जाने मे लोगो को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं, शिक्षा की बात जब करे तो आँगनबाडी केंद्र बुधवार को कोड़ संख्या 134 मे 10:45 सुबह तक नदारत दिखी सेवीका साथ सहायिका भी दो चार छोटे बच्चे इधर - उधर खेलते आंगनबाड़ी केम्प मे नजर आये, उत्क्रमीत प्राथमिक विद्यालय जियोरायडीह मे जब व्यवस्था को लेकर पड़ताल की गई तो शौचालय बँद दिखा जब शिक्षक की नजर पत्रकार पर पड़ी तो तुरंत आनन फानन मे शौचालय का गेट खुलवाया इसके पूर्व बच्चे खुले मे शौच करने जाते दिखे, पढ़ाई गुणवत्ता को लेकर जब क्लास पाँचवी की छात्रा रीता कुमारी पिता दशरथ मेहता रामडीह से पूछा गया की देश के प्रधानमंत्री कौन हैं,झारखंड की शिक्षा मंत्री कौन हैं, तो बताने मे असफल रही, वही स्कूल मे दो शिक्षक उपस्थित कहने लगे रिपोर्ट मत छापिएगा, इन बच्चो का अब जेनरल नॉलेज पर ध्यान देंगे इस बार छोड़ दे,वही मालिन बिरर्होनी जो कोडरमा सदर अस्पताल मे कई सप्ताह से अपने रिश्तेदार का पैर एक्सीडेंट मे टूटने का इलाज कराने के लिए गई हुई हैं, वह बोली की जब हॉस्पिटल मै पहुँची तो डॉक्टर ने एक हफ्ते तक ईलाज नही किया,बेड पर पीडित दर्द से कहराता रहा, जिसके बाद हमसब अपने परिजन संग मिलकर हल्ला-गुल्ला करने लगे तब जाकर डॉक्टर रमण कुमार द्वारा कच्चा प्लास्टर किसी तरह करके किया गया, कहा की अब ठीक हो जाएगा, इसी बीच डॉक्टर की तबादला हो गया और उसका इलाज बढ़िया से नहीं हो पाया, जिसकी शिकायत लेकर मै कोडरमा उपायुक्त संजीव कुमार बेशरा के पास गई थी, परंतु उनसे मिलने नहीं दिया गया, मै मजबूर होकर वापिस हॉस्पिटल आ गई, कही की हम लोगों का अधिकारी भी दर्द समझना मुनासिब नहीं समझते हैं, इलाज बस भगवान भरोसे चलता हैं कोई ध्यान देने वाला नही है,
महावीर बिरहोर 60 वर्ष पिता पंडित बिरहोर जो अपने पांच परिवार के साथ जोयोरायडीह  में रहा करते हैं , उन्होंने बताया कि अब तक मेरे परिवार का राशन कार्ड नहीं बना है ,साथ ही कई वर्षों से झोपड़ी में जीवन बिताने को मजबूर हैं ,जब तेज आंधी पानी आता है तो झोपड़ी हमारा उड़ जाता है,फिर खुले आसमान के नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हो जाते हैं ,किसी तरह जंगल से लकड़ियां लाकर पुनः झोपड़ी का निर्माण कर उसमें रहने लगते हैं, सरकार एवं प्रतिनिधि के उदासीन रवैया के कारण हम लोगों को अब तक आवास योजना जैसा लाभ नहीं मिल सका है, हमसब बिरहोर  जाति लोगो की बात करे तो कईयों के पास मकान नहीं है, और झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं ,बरसात में बदहाली का दंश झेलना पड़ता है, और खून के आंसू पीकर रह जाते हैं ,रोजगार की भी व्यवस्था नही कई भाई के पास तो जॉब कार्ड बना है, पर जिनका जॉब कार्ड बना है, उन्हें अब तक रोजगार सुनिश्चित नहीं हो पाया,साथ ही उन्हें जॉब कार्ड की उपयोगिता के बारे में भी जानकारी नहीं है, पीने की पानी की बात करें तो लगभग 300 आबादी के बीच मात्र दो चापाकल चालू है ,जिससे पानी चलते-चलते गंदा भी आने लगता है, और वही पानी पीने को मजबूर हैं, कल्याण विभाग द्वारा कई वर्षों पहले एक पानी का सोलर सिस्टम टैंक लगाया गया था, पर आज छह महीना होने को है पानी टंकी फट चुका है, और पानी जमा स्टाक नहीं हो पाता है, जिससे सारा पानी बह जाता है, जिसके कारण पूरे टोला में पानी की किल्लत हाहाकार हमेशा मची रहती है, शौचालय सरकार के द्वारा हमें मिला है, पर पानी की किल्लत के कारण शौचालय का होना ना होना कोई मायने नहीं रखता क्योंकि हम सब खुले में शौच जाने को मजबूर हैं ,कई को पेंशन भी नही मिलता हैं, सुरेश बिरर्होर ने बताया रोज सुबह अपनी पत्नी के साथ ढीबरा  चुनने को लेकर जंगल की ओर निकल जाते हैं, जान हथेली पर रखकर दिनभर ढीबरा  निकालते हैं, और पूंजीपतियों माफियों के आगे कम दरों पर ढेबरा बेच कर शोषण का शिकार हो जाते हैं, किसी तरह अपना दो चार पैसे जो जुगाड़ होता है, उससे घर चलाते हैं , उनका बेटा राजू बिरर्होर 06 वर्ष की बात के साथ कई बच्चो की बात करे तो राजू की ही तरह स्कूल में नाम दाखिला है ,पर वह अपने छोटे छोटे भाइयों बहनों को घर में रहकर खेलाने का काम करता है,और हर रोज़ शिक्षा से महरूम रह जाता है,उसके भविष्य को लेकर उसके मां-बाप चिंतित है, पर क्या करे बाबू जी गरीबी पेट की आग से निजात कौन दिलाएगा,शिक्षा को लेकर शिक्षा जागरूकता अभियान वहाँ फेल नज़र आता हैं,वहाँ के लोग गरीबी का दंश झेलने को मजबूर हैं कोई ध्यान देने की ज़हमत नही उठाता हैं,सभी बिरर्होर एक जुट होकर कहा की हमारा विकास कब होगा ! मौके पर
मालती बिरहोरनी,बिरजू बिरहोर, सीता बिरहोरनी, किसुन बिरहोर,प्रदीप बिरहोर , संजू बिरहोरनी,सुमा बिरहोरनी,बिल्टू बिरहोर , महेन्द्र बिरहोर ,नीलमणि बिरहोरनी, बिसनी बिरहोरनी,सुनीता बिरहोरनी के अलावा दर्जनों बिरहोर समुदाय के लोग मौजूद थे!

झारखंड मे बिरहोर जाति का विकास गति धीमी क्यों मामले को लेकर जब
रांची एक्सप्रेस ने झारखंड सरकार मंत्री लुईस मरांडी से सम्पर्क दूरभाष पर कर उनका मामले पर प्रतिक्रिया लेना चाहा तो मामले के बारे मे जानकर कही की बिरर्होर मामले मे पूछना है,अभी मै गाड़ी मे हूँ,फोन पर बात करते करते कट जायेगा, आप बाद मे सम्पर्क करे, पर कई बार सम्पर्क करने की कोशिश की गई पर फोन नही उठाया गया, अब सवाल उठता है मंत्री महोदया के पास क्या बिरहोर के मुद्दे समस्या पर बात करने के लिये वक्त नही है !

ग्राउंड रिपोर्ट : अन्कु कुमार गोस्वामी

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