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Saturday, 21 October 2017

झारखण्ड के धनबाद जिला अंतर्गत झरिया में भूख से एक मजदुर बैद्नाथ रविदास की मौत हो जाने के सम्बन्ध में

सेवा में
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली

विषय :- झारखण्ड के धनबाद जिला अंतर्गत झरिया में भूख से एक मजदुर बैद्नाथ रविदास की मौत हो जाने के सम्बन्ध में

महोदय
हम आपका ध्यान झारखण्ड के धनबाद जिले के झरिया की ओर आकृष्ट कराना चाहेंगे जहा पर भूख से एक मजदुर की मौत हो गई। कारण बना की उस व्यक्ति के घर में जन वितरण प्रणाली केंद्र का राशन कार्ड नहीं था। जिस कारण उसे अनाज नहीं मिल रहा था। यह खबर देनिक अख़बार भास्कर में दिनांक 21 अक्टूबर 2017 को प्रकाशित की गई जिसका लिंक http://www.bhaskar.com/news/c-181-another-death-due-to-hunger-in-jharia-dhanbad-jharkhand-NOR.html?ref=appshare संलग्न है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है की उक्त मामले को गम्भीरता से लेते हुए पुरे मामले की विशेष टीम द्वारा न्यायिक जाँच कराइ जाए और दोषियों पर कार्यवाही करते हुए पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपया मुआवजा भुगतान किया जाये साथ ही पुरे मामले में कार्यवाही की एक प्रति हमें भी उपलब्ध कराइ जाए।
भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
राज्य संयोजक
मानवाधिकार जन निगरानी समिति झारखण्ड
डोमचांच कोडरमा झारखण्ड
संपर्क 9934520602

खबर विस्तार से
नबाद (झारखंड)। यहां के झरिया इलाके में राशन कार्ड नहीं बनने के कारण आर्थिक तंगी और भूख से एक 40 साल के व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक की वाइफ ने बताया कि हाल के दिनों में स्थिति यह हो गई थी कि अगर सुबह खाना बनता तो शाम को नहीं बन पाता था। कभी - कभार दोनों वक्त खाना नहीं बना करता था। बच्चे भूख से बिलखते रहते थे। उनका पति असहाय पड़ा रहता था। मालूम हो कि 28 सितंबर को सिमडेगा में 10 साल की बच्ची संतोषी की भी मौत भूख की वजह से हो गई थी। इसके बाद से राज्य सरकार को विपक्ष ने घेर रखा है। चार वर्ष पहले ही बंद हो गया था राशन का मिलना...
- मृतक वैद्यनाथ रविदास की वाइफ पार्वती देवी ने बताया कि उनके बड़े भाई जागो रविदास के नाम से राशन कार्ड था। उसी कार्ड में इनके पूरे परिवार का नाम था।
- चार वर्ष पूर्व उनकी मौत हो गई थी। एक- दो महीने बाद राशन मिलना बंद हो गया था। बेटे के साथ स्थानीय पार्षद ऑफिस का चक्कर लगा कर वो थक गई थी। उसका राशन कार्ड नहीं बना।
- दस दिनों पूर्व उसने ऑनलाईन आवेदन भी किया था। राशन कार्ड नहीं होने के कारण बीपीएल लिस्ट से भी उनका नाम कट गया था। वाइफ का कहना है कि अगर नियमित रूप से राशन मिलता तो उसका पति अाज जीवित होते। 
सर्किल ऑफिसर ने दिया 20 हजार रुपए का चेक
- घटना शुक्रवार देर शाम की है। शनिवार को यह खबर क्षेत्र में फैल गई। नेताओं की भीड़ जुटी। झारखंड सरकार पर आरोप लगे।
- कहा गया कि अच्छे दिन का वादा करने वाले सरकार में भूख से मर रहे हैं। पार्षद और जनप्रतिनियों को कटघरे में खड़ा किया।
- धनबाद के डिप्टी कमिश्नर ए डोडे के निर्देश पर झरिया के सर्किल ऑफिसर केएन सिंह पहुंचे।
- राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ के तहत 20 हजार रुपए का चेक अंचलाधिकारी केएन सिंह और पार्षद शैलेंद्र सिंह ने मृतक की वाइफ को दिया।
- इसके अलावा डिप्टी मेयर एकलव्य सिंह के प्रतिनिधि गुड्‌डू सिंह ने पांच हजार रूपये मानवता के आधार पर दिये। शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। घटना के बाद से परिवार में मातम छाया हुआ है। 
कभी - कभार दोनों वक्त भी नहीं बनता था घर में खाना
- मृतक बैद्यनाथ दास की वाइफ पार्वती देवी के अनुसार उसके पति को सांस की भी बीमारी थी। वो रिक्शा चला कर पांच बच्चे सहित पूरे परिवार का लालन-पालन करते थे।
- बीमारी और भूख के कारण धीरे-धीरे उनका शरीर कमजोर होता गया। एक माह पहले वे बेड पर चले गये थे। उसने किसी तरह दूसरे के घर में खाना बनाकर परिवार को जीवित रखा।
कांग्रेसी बनायेंगे ऐसे लोगों की सूची
- युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव एहसान खान, झरिया नगर अघ्यक्ष प्रीतम रवानी, कमल शर्मासहित अन्य कांग्रेसियों ने इस तरह की घटना पर सरकार को कोसा।
- इन लोगों ने संकल्प लिया कि आज के बाद कांग्रेसजन हर झुग्गी झोपड़ी में घूम कर वैसे लागों की सूची बनायेंगे, जो आर्थिक अभाव में बीमारी से जूझ रहे हैं। जिनका राशन कार्ड नहीं बना है। सरकारी सुविधाएं नहीं मिल रही है। सूची बनाने के बाद उसे प्रशासन को सौंपा जाएगा।
- हालांकि इस पूरे मामले पर सर्किल ऑफिसर केएन सिंह ने दावा किया है कि मौत भूख से नहीं, बल्कि बीमारी से हुई है। पीड़ित परिवार को लाभ के तहत 20 हजार का चेक दे गया है। सरकार की ओर से विधवा पेंशन सहित अन्य सरकारी लाभ दिलाया जायेगा।

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