सेवा में
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली
विषय:- झारखण्ड के हजारीबाग जिले के कटकमसांडी प्रखंड के बिरहोरटांड के बगल में कोल डम्पिंग के कारण रोग ग्रस्त हो रहे जनजाति समुदाय बिरहोर को सुरक्षा दिलाने के सम्बन्ध में
महोदय
हम आपका ध्यान झारखण्ड के हजारीबाग जिले के कटकमसांडी प्रखंड के बिरहोरटांड गांव की ओर आकृष्ट कराना चाहूंगा जहा कुछ ही दूरी पर कोलडम्पिंग किया जाता है जिसके सारे धूल बिरहोर समुदाय के आवास की तरफ आता है। जिससे बच्चे महिलाये के साथ पूरा गांव व् विद्यालय आंगनबाड़ी केंद्र सभी प्रभावित हो रहे है। इस विषय के जिले के आला अधिकारी पूरी तरह अवगत है बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की गई है। यह खबर न्यूज़ पोर्टल अख़बार टुडे बिहार झारखंड ने अपने अखबार इ दिनांक 22 अप्रैल 2018 को लगाया है।जिसका लिंक
http://todaybiharnews.com/%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A5%80-%E0%A4%B5-%E0%A4%89%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B2-%E0%A4%A1%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%AC/ संलग्न है।
बताते चले की पुरे झारखण्ड में लगभग 7000 बिरहोर परिवार ही बचे है जो लुप्त होने के कगार पर है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है कि उक्त मामले को गम्भीरता से लेते हुए दोषी पदाधिकारी पर न्यायिक कार्यवाही की जाए। और कार्यवाही की एक प्रति हमें भी उपलब्ध कराई जाए।
भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
राज्य संयोजक
मानवाधिकार जन निगरानी समिति झारखण्ड
शहीद चौक डोमचांच कोडरमा झारखण्ड
संपर्क 9934520602
ख़बर विस्तार से
कटकमसांडी–इन दिनों प्रचंड गर्मी व उड़ते कोल डस्ट बिरहोरों की जिंदगी के लिए मुसीबत की सबब बन गई है। एक तो कटकमसांडी रेलवे स्टेशन व कोल डंप यार्ड से महज सौ गज की दूरी पर बसे बिरहोरटंडा के बिरहोरों को मौलिक सुविधा तक मयस्सर नही है वहीं दूसरी ओर धुआंधार हो रहे कोल डंपिंग से बिरहोरों के दिन के सुख चैन व रातों की नींद
में खलल पहुंच रही है। कोल डंपिंग से उड़ते डस्ट का दूरगामी असर बिरहोरों व आस पास में रह रहे लोगों पर क्या होगा। वह स्वास्थ्य विशेषज्ञ ही बता सकता है। इतना ही नही गत एक माह से कोयले में लगी आग से उठते धुएं ने भी आस पास के लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी है। हैरत की बात तो यह है कि कोल डंप यार्ड व बिरहोरों की स्थिति
को करीब से जानने पहुंचे एसडीओ आदित्य रंजन, बीडीओ अखिलेश कुमार व सीओ नीतु कुमारी द्वारा भी कोल डंपिंग के दौरान उत्पन्न डस्ट से बिरहोरों के जीवन को सुरक्षित रखने को लेकर अबतक कोई ठोस कदम नही उठाया गया। जबकि नौनिहालों के कुपोषण से बचने व तालीम पाने के लिए बिरहोरटंडा परिसर मे ही आंगनबाड़ी केन्द्र व शिक्षा स्कूल संचालित है। बावजूद इसके, कोल डंप बंद करने के अधिकारियों का फरमान टांय टांय फिस्स है। मालुम हो कि कल तक कोल डंप के समर्थन करने वाले बसंतपुर, मालीआम व नैनादोहर के सैकड़ो ग्रामीण कोल डंप के दुष्प्रभाव से प्रभावित होने के बाद कोल डंप बंद कराने के पक्ष में आंदोलनरत हैं। गर्म झोंके के चपेट में आकर कोल
डंप से उड़ते डस्ट ने गांव, घर, स्कूल, खेत, खलिहान, पेड़ पौधे, तालाब, कुआं तक शामिल हो चुका है। बगैर तिरपाल डाले खुले कोयले लदे वाहनों से कोयले ढोए जा रहे हैं। बहरहाल, यह कहना अतिशयोक्ति नही होगी कि कोयले के ढेर में दबकर बिरहोरों की जिंदगी सिसक रही है। सांसद प्रतिनिधि राजेन्द्र प्रसाद राजा और जिप सदस्य विजय सिंह भोक्ता ने बिरहोरों की नाजुक स्थिति को करीब से देखा और जागरण को बताया कि हर हाल में कोल डंप यार्ड का स्थल परिवर्तन होना चाहिए। अन्यथा बिरहोरों का वजूद समाप्त हो जाएगा। इसके लिए डीसी को रिमांडर कर कोल डस्ट के कुप्रभाव से ग्रसित बिरहोरों सहित आस पास के लोगों की परेशानियों से अवगत कराया जाएगा।
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