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Thursday 13 April 2017

झारखण्ड के कोडरमा जिलें के सदर अस्पताल में गर्भवती बिरहोर महिला के साथ अमानवीय व्यवहार कर प्रसव कराने से पूर्व बांड भरवाने के सम्बन्ध में

सेवा में
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली

विषय:- झारखण्ड के कोडरमा जिलेंके सदर अस्पताल में गर्भवती बिरहोर महिला के साथ अमानवीय व्यवहार कर प्रसव कराने से पूर्व बांड भरवाने के सम्बन्ध में

महोदय
हम आपका ध्यान झारखण्ड के कोडरमा जिले के सदर अपताल की ओर आकृष्ट कराना चाहूँगा जहा पर जिला मुख्यालय जंगल में स्थित फुलवरिया बिरहोर टोला निवासी तिलेश्वर बिरहोरनी को भर्ती कराया गया। उक्त महिला का प्रसव का समय हो जाने के बावजूद अस्पताल प्रबन्धन ने उसे रिम्स रांची रेफर करने की बात कही। उक्त मामले पर जिले के आला अधिकारियो द्वारा जब अस्पताल से बात करने पर उक्त महिला को अस्पताल में बांड भरने के बाद भर्ती लिया। बताते चले की जिले में जब भी कोई जनजाति समुदाय बीमार होता है तो सदर अस्पताल द्वारा यही ड्रामा लगाया जाता है। यह मामला दिनांक 13 अप्रैल 2017 को देनिक भास्कर अख़बार में प्रकाशित की गई जिसका लिंक http://www.bhaskar.com/news/JHA-MAT-latest-kodarma-news-031003-2386198-NOR.html?ref=appshare है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है की उक्त मामले को गम्भीरता से लेते हुए न्यायिक जाँच कर दोषी पदाधिकारी पर कार्यवाही करने की कृपा करे। और कार्यवाही की एक प्रति हमें भी उपलब्ध कराये।
भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
मानवाधिकार कार्यकर्त्ता
डोमचांच कोडरमा झारखण्ड 825418
संपर्क 9934520602
खबर विस्तार से

 चिकित्सकों ने महिला के शरीर में खून की कमी की बात कहते हुए रिम्स रेफर कर दिया था 

{ सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंट की व्यवस्था होने के बाद भी बाहर से कराई गई जांच 

भास्करन्यूज | कोडरमा। 

एनिमिकरोग से ग्रसित एक गर्भवती बिरहोर महिला का सदर अस्पताल में प्रसव को लेकर बुधवार को काफी देर तक ड्रामेबाजी होती रही। जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय स्थित फुलवरिया गांव की गर्भवती महिला तिलेश्वर बिरहोरीन को प्रसव के लिये सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मगर वहां के चिकित्सकों ने महिला के शरीर में खून की कमी की बात कहते हुए इसे बेहतर इलाज के लिये रिम्स रेफर कर दिया गया। जबकि महिला का प्रसव का समय पूरा हो चुका था। 

इस संबंध में समाज कल्याण पदाधिकारी मनीषा वत्स को जानकारी होने वर वह बाल संरक्षण पदाधिकारी के अलावा सीडब्ल्यूसी के सदस्य के साथ सदर अस्पताल पहुंचकर महिला के इलाज प्रसव के लिये सीएस से बातचीत की। इसे लेकर काफी देर तक पदाधिकारी अस्पताल के पदाधिकारियों चिकित्सकों के बीच काफी देर तक ड्रामेबाजी का खेल चलता रहा। 

बाद में पदाधिकारी की ओर से अस्पातल में ब्लड बैंक के अलावा बेहतर सर्जन महिला चिकित्सक के होने के बाद भी महिला को रांची रेफर करने का सवाल अस्पताल प्रबंधक के समक्ष रखे जाने पर सीएस के निर्देश पर महिला को बांड भरकर इलाज के लिये भर्ती कराया गया। 

इस संबंध में सीएस बीबी चौरसिया के बताया कि अस्पताल की महिला चिकित्सक नम्रता प्रिया की ओर से महिला की जांच की गई थी। जांच के दौरान खून की कमी को लेकर गर्भवती महिला के प्रसव में रिस्क होने स्थिति बिगड़ने को लेकर लाईफ सपोर्ट उपकरण के नहीं होने को लेकर बेहतर इलाज के लिये रिम्स रेफर किया गया था। उल्लेखनीय रहे कि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था होने के बाद भी महिला का बाहर ले जाकर उसका अल्ट्रासाउंड कराया गया। 

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