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Monday 21 August 2017

झारखण्ड की राजधानी रांची स्थित रिम्स में 50 रूपये के आभाव में इलाज न करने से नवजात बच्चे की मौत हो जाने के सम्बन्ध में

सेवा में
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली

विषय :- झारखण्ड की राजधानी रांची स्थित रिम्स में 50 रूपये के आभाव में इलाज न करने से नवजात बच्चे की मौत हो जाने के सम्बन्ध में

महोदय
हम आपका ध्यान झारखण्ड के राजधानी रांची स्थित रिम्स में श्याम कुमार पिता संतोष लोहरा जगन्नाथपुर के मौसीबाड़ी का रहनेवाला है. रिक्शा चला कर किसी तरह अपने परिवार को जीवन चलाता है. बताया जाता है कि संतोष का एक साल का बेटा श्याम खेलने के दौरान घर की छत से गिरा गया था. उसके सिर में भी चोट आयी थी. परिजन पहले पास में ही किसी डॉक्टर के पास ले गये. पर ठीक नहीं होने के कारण रविवार को उसे लेकर रिम्स पहुंचे. श्याम को रिम्स के शिशु इमरजेंसी में डॉक्टर को दिखाया गया. डॉक्टर ने श्याम का सीटी स्कैन कराने की सलाह दी. इसके बाद आनन-फानन में परिजन सीटी स्कैन की परची कटाने के लिए कैश काउंटर पर पहुंचे. पर 50 रुपये कम होने के कारण उसकी जांच नहीं हो पायी. जिस कारण बच्चे की जान चली गई यह खबर प्रभात खबर में दिनांक 20 अगस्त 2017 को प्रकाशित की गई जिसका लिंक
http://www.prabhatkhabar.com/news/ranchi/jharkhand-ramchandra-chandrvanshi-reacted-on-rims-50-rupees/1041736.html संलग्न है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है की उक्त मामले को संज्ञान में लेते हुए न्यायिक जन्च्ब्कर दोषी पदाधिकारी पर कार्यवाही करते हुए पीड़ित परिवार को 5 लाख रुपया मुआवजा भुगतान कराने की कृपा करे और कार्यवाही की एक प्रति हमें भी प्रेषित करे।
भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
मानवाधिकार कार्यकर्ता
डोमचांच कोडरमा झारखण्ड
संपर्क 9934520602

खबर विस्तार से
रांची : झारखंड में हर रोज स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली के नये उदाहरण सामने आ रहे हैं. कल रिम्स में एक मासूम की जान सिर्फ इस वजह से चली गयी कि उसके पास 50 रुपये कम थे. बताया जा रहा है कि डॉक्टरों ने बच्चे को सीटी स्कैन कराने की सलाह दी थी. पिता के पास 50 रुपये कम होने के कारण एक साल के मासूम श्याम का सीटी स्कैन नहीं हो पाया था. इस कारण उसका इलाज शुरू नहीं हो सका. बेबस पिता संतोष कुमार अपने बच्चे को बचाने के लिए डॉक्टर और जांच घर के चक्कर लगाता रहा. पर वह अपने मासूम बच्चे को नहीं बचा पाया. आखिरकार उचित इलाज के अभाव में श्याम की मौत हो गयी. घटना रविवार की है. उधर इस घटना को लेकर जब स्वास्थ्य मंत्री से यह सवालू पूछा तो उन्होंने जवाब दिया - खबर छापने वालों को चंदा कर 50 रुपये देना चाहिए ताकि उसका इलाज संभव हो पाता. 

कल रिम्स में क्यों चली गयी थी जान 
श्याम के पिता  संतोष कुमार जगन्नाथपुर के मौसीबाड़ी का रहनेवाला है. रिक्शा चला कर किसी तरह अपने परिवार को जीवन चलाता है. बताया जाता है कि संतोष का एक साल का बेटा श्याम खेलने के दौरान घर की छत से गिरा गया था. उसके सिर में भी चोट आयी थी. परिजन पहले पास में ही किसी डॉक्टर के पास ले गये. पर ठीक नहीं होने के कारण रविवार को उसे लेकर रिम्स पहुंचे. श्याम को रिम्स के शिशु इमरजेंसी में डॉक्टर को दिखाया गया. डॉक्टर ने श्याम का सीटी स्कैन कराने की सलाह दी. इसके बाद आनन-फानन में परिजन सीटी स्कैन की परची कटाने के लिए कैश काउंटर पर पहुंचे. पर 50 रुपये कम होने के कारण उसकी जांच नहीं हो पायी. 
पहले भी उजागर हो चुके हैं इस तरह बदहाली के मामले 
18 अगस्त को गुमला में सदर अस्पताल में भरती साल भर के बिफैया की मां के गोद में ही मौत हो गयी. उसे रिम्स रेफर किया गया था. पर रांची लाने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे़  वह बच्चे को लेकर पैदल ही घर जा रही थी.  06 अगस्त को गुमला सदर अस्पताल में दवा नहीं मिलने से ममरला गांव निवासी करण सिंह के आठ साल के बेटे की मलेरिया, टाइफाइड से मौत हो गयी. एंबुलेंस नहीं मिली, तो शव को कंधे पर लाद कर घर ले गया.
पैसे कम होने के कारण सीटी स्कैन नहीं हुआ हो, ऐसी कोई जानकारी हमें नहीं  है़  बच्चे की मौत सिर्फ सीटी स्कैन नहीं होने के कारण नहीं हुई होगी़  अन्य  कारण भी हो सकता है़  सोमवार को मामले की जानकारी लूंगा.  लापरवाही सामने आयी, तो जिम्मेदार डॉक्टर या कर्मचारी पर सख्त कार्रवाई की जायेगी.   

 

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