सेवा में
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली
विषय :- झारखण्ड के गुमला जिले के सदर अस्पताल में दवा के अभाव में बच्चे की जान चले जाने के बाद एम्बुलेंस सेवा नहीं देने के कारण बच्चे की लास को उसके पिता द्वारा पीठ पर ले जाने सम्बन्ध में
महोदय
हम आपका ध्यान झारखण्ड के गुमला जिले के सदर अस्पताल की ओर आकृष्ट कराना चाहूँगा जहा पर दवा के अभाव में बच्चे की जान चली गई। जानकारी के अनुशार शनिवार को बसिया प्रखंड के केदली गांव निवासी करन सिंह अपने आठ वर्षीय बीमार बेटे सुमन सिंह को इलाज के लिए सदर अस्पताल लेकर आया था। अस्पताल में मौजूद डॉ. नम्रता टोप्नो ने बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए बच्चे को भर्ती किया और अस्पताल में दवा नहीं रहने पर पर्ची पर दवा लिखकर बच्चे के पिता को बाहर से दवा खरीदकर लाने को कहा। इसके बाद करन सिंह पर्चा लेकर बाहर की कई दवा दुकानों पर गया लेकिन वह दवा नहीं मिली। इसके बाद जब वह वापस अस्पताल पहुंचा तबतक उसके बच्चे की मौत हो चुकी थी। यह खबर देनिक अख़बार जागरण में 7 अगस्त को प्रकाशित की गई जिसका लिंक http://epaper.jagran.com/ePaperArticle/07-aug-2017-edition-Ranchi-page_1-26640-4572-212.html संलग्न है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है की उक्त घटना की स्वंतत्र इकाई द्वारा जाँच कराइ जाए साथ ही हमारी निम्न मांग पर कार्यवाही करते हुए। पीड़ित परिवार को दस लाख रुपया मुआवजा दिलाते हुए कार्यवाही कर कार्यवाही की एक प्रति हमें भी उपलब्ध कराइ जाए।
हमारी मांग
1 झारखण्ड के सभी छोटे बड़े स्वास्थ्य केंद्र उप केंद्र में दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करवाते हुए उपलब्ध दवाओ की लिस्ट लगवाई जाए।
2 झारखण्ड के सभी स्वास्थ्य केंद्र उप केंद्र में डाक्टर का बैठना सुनिश्चित किया जाए व् मुलभुत सुविधा से लैस किया जाए।
3 झारखण्ड में स्वास्थ्य सुविधा न मिलने पर आम हेल्पलाइन चालु कराया जाए।
भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
मानवाधिकार कार्यकर्त्ता
डोमचांच कोडरमा झारखण्ड
पिन 825418
इमेल onkar.670@gmail.com
खबर विस्तार से
जागरण संवाददाता, गुमला। सदर अस्पताल में शनिवार को दवा के अभाव में एक बच्चे की मौत ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की बीमार व्यवस्था को उजागर किया है। मौत के बाद भी बच्चे को एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराकर अस्पताल प्रशासन ने संवेदनहीनता का भी परिचय दिया है। बच्चे की मौत होने के बाद अस्पताल प्रबंधन से एंबुलेंस नहीं मिलने पर बच्चे का पिता शव को अपनी पीठ पर बांधकर ले गया।
मामला प्रकाश में आने के बाद उपायुक्त श्रवण साय ने एसडीओ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी पूरे मामले पर कड़ा संज्ञान लेते हुए 24 घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
जानकारी के अनुसार, शनिवार को बसिया प्रखंड के केदली गांव निवासी करन सिंह अपने आठ वर्षीय बीमार बेटे सुमन सिंह को इलाज के लिए सदर अस्पताल लेकर आया था। अस्पताल में मौजूद डॉ. नम्रता टोप्नो ने बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए बच्चे को भर्ती किया और अस्पताल में दवा नहीं रहने पर पर्ची पर दवा लिखकर बच्चे के पिता को बाहर से दवा खरीदकर लाने को कहा। इसके बाद करन सिंह पर्चा लेकर बाहर की कई दवा दुकानों पर गया लेकिन वह दवा नहीं मिली। इसके बाद जब वह वापस अस्पताल पहुंचा तबतक उसके बच्चे की मौत हो चुकी थी।
करन के भतीजे अर्जुन सिंह ने बताया कि बच्चे की मौत के बाद करन ने शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध कराने का अनुरोध अस्पताल प्रबंधन से किया तो उसे नियमों का हवाला देते हुए 2500 रुपये जमा करने के बाद ही एंबुलेंस उपलब्ध होने की बात कही। पर्याप्त पैसे नहीं होने के कारण करन अपने मृत बेटे का शव अपनी पीठ पर गमछे से बांधकर अस्पताल से निकल गया। इसके बाद कई लोगों से सहयोग लेते हुए वह वह बच्चे का शव लेकर अपने घर पहुंचा और बच्चे का अंतिम संस्कार किया।
उधर, इस मामले में सिविल सर्जन डॉ. जेपीसांगा ने बताया कि बच्चे की मौत होने के तत्काल बाद मृत बच्चे का पिता शव लेकर अस्पताल से बिना कुछ कहे अचानक चला गया। अस्पताल से एंबुलेंस मांगी जाती तो जरूर उपलब्ध कराया जाता। बच्चे का पिता कब अपने मृत पुत्र को अस्पताल से ले गया यह किसी को पता नहीं चला। उन्होंने दवा की कमी से बच्चे की मौत होने की बात से भी इन्कार किया। कोट बच्चे की हालत काफी गंभीर थी।
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बच्चा ब्रेन मलेरिया व जौंडिस से पीड़ित था। जब उसका पिता बच्चे को इलाज के लिए अस्पताल लेकर आया तो तत्काल बच्चे को भर्ती किया गया, लेकिन मात्र 10 मिनट के अंदर ही बच्चे की मौत हो गई। वैसे तो अस्पताल में दवा की कमी है, लेकिन बच्चे की मौत दवा के अभाव में नहीं हुई है। एंबुलेंस की मांग भी बच्चे के पिता ने नहीं की, नहीं तो जरूर उपलब्ध कराया जाता
-डॉ. जेपी सांगा, सिविल सर्जन, गुमला।
प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि बीमार बच्चे को दोपहर एक बजे अस्पताल में लाया गया था और 20 मिनट बाद बच्चे की मौत हो गई। चिकित्सकों के अनुसार इलाज के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला क्योंकि बच्चा ब्रेन मलेरिया व जौंडिस से पीडि़त था। एसडीओ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी है।
-श्रवण साय, उपायुक्त, गुमला
बच्चे की मौत पर सीएम ने 24 घंटे में रिपोर्ट तलब की
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने गुमला में बच्चे की हुई मौत के बाद एंबुलेंस न मिलने की घटना पर गहरा रोष व्यक्त किया है। उन्होंने जिला प्रशासन से 24 घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट देने और दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
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