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Sunday 11 March 2018

  झारखंड में पूरी स्वास्थ्य सेवाओ में मूलभूत जरूरत के कमी से राज्य में स्वास्थ्य सुविधा फेल होने के संबंध में 

सेवा में 
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली

विषय:-  झारखंड में पूरी स्वास्थ्य सेवाओ में मूलभूत जरूरत के कमी से राज्य में स्वास्थ्य सुविधा फेल होने के संबंध में 

महोदय
हम आपका ध्यान झारखण्ड राज्य के सभी जिले में संचालित राज्य सरकार के छोटे बड़े सभी स्वास्थ्य केंद्र व सदर अस्पताल की ओर ध्यान आकृष्ठ कराना चाहेंगे जहा पर मुलभुत सुविधा जैसे पानी, बिजली, स्वास्थ्यकर्मी,जांच लैब, के अलावे अपना भवन नही रहने के कारण पूरी स्वास्थ्य सुविधा तंगहाल है। स्ववाभाविक हैै  जिसका नाजायज फायदा राज्य के झोला छाप डाक्टर गैरकानूनी ढंग से मरीजों के जान से खेलते है। एक तरफ जहा राज्य सरकार स्वास्थ्य सुविधा देंने में फेल है तो दूसरी तरफ झोला छाप डाक्टर अपने ऊची ऊची अस्पताल में सुविधा देने के नाम से मरीजों के जान से खिलवाड़ कर रहे है। आयेे दिन  घटनाये अखबार के सुरखियों में  रहा है । प्रभात खबर में दिनांक 10 मार्च 2018 को प्रकाशित की गई। जिसका लिंक https://www.prabhatkhabar.com/news/ranchi/3000-health-center-no-water-no-electricity-in-2200-a-doctor-load-of-8165-people-jharkhand-health/1131726.htmlसंलग्न है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है कि उक्त समस्या को गम्भीरता से लेते हुए पूरे राज्य में स्वास्थ्य सुविधा दुरुस्त की जाए। 
हमारी मांग
1 पूरे राज्य के सभी स्वास्थ्य केंद्र उपकेंद्र में स्वास्थ्यकर्मी की बहाली करते हुए मूलभूत सुविधा बिजली पानी शौचालय के साथ आवश्यक दवाई, के साथ सुरक्षित प्रसव की पूरी व्यवस्था दुरुस्त कराई जाए।
2 हर माह स्वास्थ्य केंद्र की मॉनिटरिंग अन्य विभाग के द्वितीय श्रेणी के कर्मचारी से कराया जाय। जिसका मूल्यांकन जिला उपायुक्त के द्वारा हो।
3 राज्य से सभी सदर रेफरल अस्पतालों में जांच लैब, बिजली पानी शौचालय व स्वास्थ्यकर्मी 24 घण्टे बहाल की जाए और अस्पतालों में मरीजों को खाना देना सुनिश्चित करवाते हुए सभी अस्पताल में सिटीजन चार्टर साफ मोटे अक्षरों में बोर्ड लगवाया जाए।
4 अस्पतालो में दवाई की उपलब्धता के बोर्ड लगाए जाएं।
5 सरकारी डाकटरो के ड्यूटी आवर में निजी क्लिनिक में प्रैक्टिस पर पूर्णतः रोक लगाई जाए।
6 अगर कोई डाक्टर अस्पताल से किस कारण से बाहर है इसकी सूचना सार्वजनिक बोर्ड पर लगाया जाए।
7 सभी अस्पतालों में एम्बुलेन्स की सुविधा बहाल की जाए।
8 इलाज हेतु जरूरी सभी उपकरण समान सभी केंद्रों में पूर्ण रूप से उपलब्ध कराया जाए।
उक्त सभी बिंदुओं पर पूर्ण कार्यवाही करते हुए पूरे मामले में कार्यवाही की प्रति साक्ष्य सहित हमे भी उपलब्ध कराया जाए।

भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
राज्य संयोजक
मानवाधिकार जन निगरानी समिति झारखंड
शहीद चौक डोमचांच कोडरमा झारखंड
संपर्क 9934520602

खबर विस्तार से

रांची : झारखंड में स्वास्थ्य के क्षेत्र में आधारभूत संरचना की भारी कमी है. देश  की तुलना में झारखंड अभी भी काफी पीछे है. राज्य में 23 सदर अस्पताल हैं. आबादी और क्षेत्र के हिसाब से राज्य में कुल 1376 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की जरूरत है, पर हैं मात्र  330 ही. इनमें भी मात्र 125 पीएचसी ही अपने भवन में चलते हैं. शेष अभी भी किराये के भवन में संचालित होते हैं

इसी तरह राज्य में 344 कम्युनिटी हेल्थ सेंटर(सीएचसी) की जरूरत है. पर मात्र 188 ही कार्यरत हैं. 8813 की जरूरत के मुकाबले राज्य में इससे आधे से भी कम मात्र 3958 हेल्थ सब सेंटर कार्यरत हैं. इन सारे अस्पतालों में एक वर्ष में 1.51 करोड़  मरीजों का इलाज होता है. यानी झारखंड की लगभग आधी आबादी की निर्भरता सरकारी  अस्पतालों पर है. लगभग 2200 उपकेंद्रों में पानी की सुविधा भी नहीं है. 3000 हेल्थ सब सेंटर में बिजली नहीं है.                      

तीन मेडिकल कॉलेजों से निकलते हैं 350 डॉक्टर 
अब बात डॉक्टरों की. पूरे देश में जहां 1324 लोगों  के इलाज के लिए एक डॉक्टर है. वहीं, झारखंड में 8165 व्यक्ति पर एक डॉक्टर  है. राज्य में इस समय तीन मेडिकल कॉलेज (रिम्स, एमजीएम और पीएमसीएच) हैं. 
यहां से प्रतिवर्ष 350 डॉक्टर निकलते हैं. झारखंड  में कुल 3138 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं. पर यहां 1857 डॉक्टर ही कार्यरत  हैं. 1455 डॉक्टरों की अब भी कमी है. विभाग द्वारा कई बार बहाली के प्रयास  किये गये. पर दूरस्थ इलाकों में पदस्थापित किये जाने के बाद डॉक्टर या तो  अस्पताल जाते नहीं या नौकरी ही छोड़ देते हैं. 
राज्य में  नर्सों की भी भारी कमी है. राज्य के 3958 स्वास्थ्य उपकेंद्र केवल नर्सों  के भरोसे हैं. राज्य में नार्म्स के अनुसार 14 हजार नर्सों की जरूरत है. पर  8349 नर्स ही कार्यरत हैं. 100-100 सीट  के  सात और मेडिकल कॉलेज (हजारीबाग, पलामू, दुमका,  चाईबासा, बोकारो और इटकी मेडिको सिटी में) निर्माणाधीन हैं. देवघर में एम्स  भी बन रहा है.
जरूरत के मुकाबले मात्र एक चौथाई है पीएचसी, डेढ़ करोड़ की आबादी सरकारी अस्पतालों में कराती है इलाज
क्या है जमीनी हकीकत  
344 सीएचसी की जरूरत है, पर मात्र 188 ही कार्यरत

906 हेल्थ सब सेंटर अब भी किराये के भवन में 

3368 की आबादी के लिए सरकारी अस्पतालों में एक बेड 

65832 की आबादी एक सरकारी अस्पताल पर निर्भर

आधारभूत संरचना की भारी कमी

अस्पताल जरूरत स्थिति

सदर अस्पताल 24 23

पीएचसी 1376 330

सीएचसी/रेफरल अस्पताल 344 188

हेल्थ सब सेंटर 8813 3958

 

ये भी बयां करते हैं हालात 

रांची, बोकारो, जमशेदपुर व धनबाद को छोड़ दें, तो बाकी शहरों में खासकर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है
अधिकतर सदर अस्पतालों में सुविधाएं नदारद हैं. थोड़ी भी गंभीर स्थिति आने पर यहां से मरीजों को  रिम्स, एमजीएम या पीएमसीएच जैसे अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है 

सदर अस्पतालों में एक्स रे, एमआरआइ, सीटी स्कैन जैसी सुविधाएं नगण्य हैं.  एंबुलेंस हैं भी, तो ड्राइवर नहीं. करोड़ों की मशीनें, रेफ्रिजरेटर आदि अस्पतालों में सड़ रहे हैं
झारखंड का हेल्थ इंडीकेटर

इंडीकेटर भारत झारखंड

आबादी (करोड़) 121.01 3.3

अस्पतालों में प्रसव 79.3% 58.3%

कुल निबंधित डॉक्टर 960233 4475

प्रति व्यक्ति पर डॉक्टर 1324 8165

निबंधित आयुष डॉक्टर 742520 345

आयुष डॉक्टर पर आबादी 1711 105905

कुल सरकारी अस्पताल 19653 555

बेड 754724 10784

प्रति अस्पताल आबादी 64425 65832

प्रति व्यक्ति बेड 1678 3388

मेडिकल कॉलेज 460 03

नर्सिंग कॉलेज 6252 75

 

 

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