सेवा में
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली
विषय:- झारखंड के राजधानी रांची के हरदाग टाँगरटोली निवासी बरती कुमारी की क्रशर में दोनों हाथ कट जाने के बाद क्रशर मालिक द्वारा मुआवजा भुगतान नहीं करने के सम्बंध में
महोदय
हम आपका ध्यान झारखंड के राजधानी रांची के हरदाग टाँगरटोली निवासी बरती कुमारी की ओर आकृष्ठ कराना चाहूंगा। जो ए के स्टोन क्रशर मिल पर काम करती थी जहाँ काम के दौरान उसका दोनों हाथ कट गया। क्रशर मालिक ने यह कहते हुए प्राथमिकी नही करने को कहा कि उसे हर माह पैसा देगा। पर अब तक बरती को क्या मिला है क्या नही उसे नही पता बरती बताती है कि काम कर के बूढ़ी मां और भाई की जिम्मेदारी उठाना शुरू किया ही था कि अब उन पर बोझ बन गयी हू़ं. यह कहते हुए उसकी दोनों आंखों से आंसू टपटपा कर टूटे हुए घर के मिटटी के फर्श पर गिरने लगे. जो मेहनत कर अपने भाई को पढ़ाना चाहती थी. बूढ़ी मां को सहारा देना चहती थी, लेकिन यह सपना पूरा नहीं हो सका. आज अपने दोनों हाथ गवां चुकी बरती कुमारी गांव में खुले क्रशर में अपने दोनों हाथ गंवाने के बाद परिवार पर खुद को बोझ मानने लगी है. घटना के दिन को याद करते हुए बरती ने बतायाः वह एके स्टोन कंपनी के क्रशर में काम कर रही थी. अचानक वहां पर बड़े-बडे पत्थल उड़े. फिर जब आंख खुली तो खुद को अस्पताल के बिस्तर में पड़ा पाया. मेरे दोनों हाथ काट दिये गये थे. शरीर में भी काफी गंभीर चोट लगी थी. 14 दिन अस्पताल में रहने के बाद खुद के हाथ गंवा कर घर लौटी.यह खबर न्यूज पोर्टल न्यूज विंग में 16 मई 2018 को प्रकाशित की गई जिसके लिंकhttp://newswing.com/In-the-eyes-of-crusher-owner-only-40thousand-rupees संलग्न है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है कि उक्त मामले में निम्न बिंदु पर जांच करते हुए कानूनी कार्यवाही की जाए और कार्यवाही की एक प्रति हमे भी उपलब्ध कराए।
1 क्या क्रशर सरकारी तौर पर निबंधीत था या नही।
2 क्रशर अपने आय व्यय का ऑडिट करवाता है या नही।
3 जब बरती उसके क्रशर में दुर्घटना ग्रस्त हुई थी उस वक्त पुलिस को सूचना क्यो नहीं दी गई थी।
4 जिस अस्पताल में बरती का इलाज हुआ क्या वह अस्पताल हाथ कटने के कारण क्या पूछा और किस आधार पर इलाज किया।
5 अब तक बरती को कितना पैसा दिया गया?
हमारी मांग
इस मामले में क्रशर मालिक पर प्राथमिकी दर्ज करते हुए आगे कार्यवाही प्रारंभ किया जाए।
भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
मानवाधिकार कार्यकर्ता
शहीद चौक डोमचांच कोडरमा झारखंड
संपर्क 9934520602
ख़बर विस्तार से
Ranchi : काम कर के बूढ़ी मां और भाई की जिम्मेदारी उठाना शुरू किया ही था कि अब उन पर बोझ बन गयी हू़ं. यह कहते हुए उसकी दोनों आंखों से आंसू टपटपा कर टूटे हुए घर के मिटटी के फर्श पर गिरने लगे. यह कहानी एक ऐसी बेटी की है, जो मेहनत कर अपने भाई को पढ़ाना चाहती थी. बूढ़ी मां को सहारा देना चहती थी, लेकिन यह सपना पूरा नहीं हो सका. आज अपने दोनों हाथ गवां चुकी बरती कुमारी गांव में खुले क्रशर में अपने दोनों हाथ गंवाने के बाद परिवार पर खुद को बोझ मानने लगी है. घटना के दिन को याद करते हुए बरती ने बतायाः वह एके स्टोन कंपनी के क्रशर में काम कर रही थी. अचानक वहां पर बड़े-बडे पत्थल उड़े. फिर जब आंख खुली तो खुद को अस्पताल के बिस्तर में पड़ा पाया. मेरे दोनों हाथ काट दिये गये थे. शरीर में भी काफी गंभीर चोट लगी थी. 14 दिन अस्पताल में रहने के बाद खुद के हाथ गंवा कर घर लौटी
एके स्टोन में हाथ गवां चुकी बरती को 3 मार्च 2018 के बाद नहीं दिया गया पैसा
बरती कुमारी बताती है कि जब अस्पताल से अपना घर वापस लौटी, तो क्रशर मालिक मेरे घर आकर बैंक में खाता खोलने का फॉर्म भर कर मेरे पैर के अंगूठे का निशान ले गया. क्रशर मालिक ने कहा था कि तुम्हारे नाम से बैंक में हर माह पैसा जमा कर दिया जायेगा, जिससे तुम्हारा गुजर-बसर हो जायेगा. लेकिन आज तक हमें यह भी नहीं पता कि बैंक खाता खुला है या नहीं. घटना के 20 महीने बाद भी पास बुक नहीं मिला. मार्च 2017 के बाद से जो दो हजार रुपया खर्च के लिए दिया जा रहा था, वह भी बंद कर दिया गया है. अब तो परिवार के सामने जीने का संकट आ गया है. मां किसी तरह से मेरा बोझ उठा रही है. फिर आगे क्या होगा. यह कह नहीं सकते. क्रशर मालिक की ओर से अब तक 21 महीना में करीब 40 हजार रूपये दिये गये हैं.
घायल का सही ढंग से इलाज भी नहीं कराया
बलराम बिझिया की पत्नी ने बताया कि क्रशर खादान में काम करने के दौरान हुए विस्फोट में घायलों का सही ढंग से इलाज नहीं करवाया गया है. खादान में काम करते हुए मेरे पति का पैर टूटा था. जिसका रिम्स में इलाज कराया गया. लेकिन अभी तक मेरे पति के पैर की हड्डी नहीं जुटी है. अब वह खेती-बारी करने में भी असमर्थ है. काम के दौरान हुई दुर्घटना का हम लोगों को किसी तरह का कोई मुआवजा नहीं मिला.
कहां है हरदाग टांगरटोली
रांची-खूंटी सड़क पर सफायर इंटरनेशनल स्कूल के पीछे स्थित हरदाग टांगरटोली है. टोले में कुल 20 आदिवासी और दो दलित परिवारों की बसहाट है. टोला के लोग की अाजीविका मजदूरी और खेती है. ग्रामीणों के अनुसार क्रशर से टोला के लोगों को किसी तरह का फायदा नहीं हो रहा है, बल्कि नुकसान ही हो रहा है . खेती-बारी पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. हरदाग टांगरटोली में दो नयी क्रशर मशीन 2016 में लगायी गयी थी. जिसमें अब स़्थानीय लोगों को काम में नहीं रखा जाता है. गांव के लोग इसकी वजह बताते है कि 20 मई 2016 को एस के स्टोन के क्रशर में विस्फोट के दौरान कई मजदूर घायल हो गये थे, जिसमें बरती कुमारी और बलराम सिंह बिंझिया को काफी चोट लगी थी. बरती को अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े थे. बलराम सिंह के पैर से हडडी टूट कर बाहर निकल गयी थी. गांव वालों के विरोध के बाद एके स्टोन के मालिक जगरनाथ प्रजापति ने घायलों को इलाज के साथ-साथ गुजर बसर के लिए पैसा देने का वादा करके गांव वालों को मामले में किसी तरह का केस करने से रोक दिया. उसके बाद गांव के लोगों को काम में नहीं रखा जाने लगा.
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नहीं मिल रहा पैसाः शिबू बिझिया (क्रशर का मुंशी)
कंपनी के मालिक की ओर से बरती कुमारी के खाते में दो लाख रूपया जमा करने की बात कही जा रही है, लेकिन बरती को अभी तक पासबुक भी नहीं मिला है. घटना में गांव के दो लोगों को गंभीर चोट आयी थी. अब वह लोग किसी भी तरह का काम करने में असमर्थ है. बरती को त्योहार के समय में कुछ पैसा दिया जाता है. अब उसे दो हजार रूपया प्रतिमाह नहीं दिया जा रहा है. हरदाग टांगरटोली में तीन क्रशर खुले हैं, जिसमें मात्र तीन लोग ही एेसे हैं, जो स्थानीय हैं और काम कर रहे हैं. बाकी सभी बाहर के लोग काम कर रहे हैं.
बरती कुमारी को कर रहें हैं आर्थिक सहयोगः जगरनाथ प्रजापति (एके स्टोन कंपनी का मालिक)
एके स्टोन कंपंनी के मालिक जगरनाथ प्रजापति उर्फ पांडेय जी ने पूरे मामले में कहा कि दुर्घटना के बाद हमलोगों ने सभी लोगों का बेहतर उपचार कराया. बरती कुमारी का हाथ बनाने के लिए भी तैयार हैं. उसका कृत्रिम हाथ भी बनवा देंगे. साथ ही बरती कुमारी को आर्थिक सहयोग भी किया जा रहा है. बैंक आफ बड़ौदा तुपुदाना में खाता खोल कर दो लाख रूपया भी जमा करा दिया गया है. बलराम बिंझिया भी ठीक होकर घूम फिर रहे हैं.
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