सेवा में
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली
विषय:- झारखंड के जमशेदपुर स्थित MGM अस्पताल में आयुष्मान भारत का कार्ड मरीज द्वारा नही देने पर डाक्टर द्वारा समय पर इलाज नही करने से एक महिला की मौत होने के संबंध में
महोदय
हम आपका ध्यान झारखंड के जमशेदपुर स्थित MGM अस्पताल में इलाज कराने गई पिडीत महिला को वहाँ के डॉक्टर द्वारा आयुष्मान भारत का कार्ड मांगा गया। कार्ड नही रहने पर मरीज का इलाज रोक कर कार्ड बनवाने को कहा गया जब तक कार्ड बनता तब तक मरीज रीता देवी ( 80 वर्ष )की मौत हो गई थी। यह ख़बर दैनिक अखबार भास्कर में दिनांक 25 सितम्बर 2018 को प्रकाशित किया गया। जिसका लिंकhttps://www.bhaskar.com/jharkhand/ranchi/news/woman-death-by-doctor-negligence-in-hospital-5961903.html?ref=fbo संलग्न है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है कि उक्त मामले की जांच करवाते हुए दोषी चिकित्सक पर कानूनी कार्यवाही की जाए। और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा भुगतान करवांते हुए कार्यवाही की एक प्रति हमे भी उपलब्ध करवाया जाए।
भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
मानवाधिकार कार्यकर्ता
शहीद चौक डोमचांच कोडरमा
झारखंड 824518
संपर्क 9934520602
ख़बर विस्तार से
जमशेदपुर।एमजीएम अस्पताल में सोमवार काे डॉक्टरों की लापरवाही के कारण डायरिया पीड़ित बुजुर्ग महिला की मौत हो गई। रीता देवी (80 वर्ष) के इलाज के लिए डॉक्टरों ने आयुष्मान भारत कार्ड की मांग कर दी। कार्ड बनाने के लिए बेटा लाइन में खड़ा रहा। 6 घंटे इंतजार के बाद बेटा कार्ड बनाकर पहुंचा, तब तक उनकी मौत हो गई। भक्तु रविदास सुबह 7 बजे डायरिया से पीड़ित मां को लेकर एमजीएम पहुंचे। इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात डॉ. पीके साहू ने आयुष्मान योजना का कार्ड बनाकर लाने को कहा। भक्तु ने अनुरोध किया तो डॉक्टर नाराज हाे गए। उन्होंने मरीज को देखे बिना खून-पेशाब जांच कराकर लाने को कहा। वह मां को जमीन पर लिटाकर भटकता रहा। सुबह 10.30 बजे उसे पता चला कि अस्पताल में आयुष्मान योजना के लिए कार्ड बन रहा है। वह लाइन में खड़ा रहा। दोपहर एक बजे कार्ड बनाकर मां के पास पहुंचा तब तक वह दम तोड़ चुकी थीं। गम और गुस्से में भक्तु रविदास कार्ड फाड़ डाला। उसने रोते हुए कहा कि आयुष्मान योजना ने मेरी मां की जान ले ली।
भक्तु रविदास के अनुसार, उसकी मां 10 दिनों से डायरिया से पीड़ित थीं। सोमवार को तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो सुबह 7 बजे मां को एमजीएम अस्पताल लेकर आया। ड्यूटी में तैनात डॉक्टर और कर्मचारी ने ध्यान नहीं दिया और आयुष्मान कार्ड लाने को बोला। छह घंटे में उनकी तबीयत अौर बिगड़ गई। समय पर इलाज हो जाता तो मां की जान बच जाती।
अस्पताल में आने वाले मरीजों का पहले इलाज होना चाहिए। कागज बाद में भी बनाएं जा सकते हैं। इलाज के अभाव में बुजुर्ग महिला की मौत होना बहुत बड़ी लापरवाही है। इसमें जो भी जिम्मेदार होंगे, उस पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
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