मै जसवा देवी उम्र 45 वर्ष ग्राम टेहरो पोस्ट बासोडीह थाना सतगांवा जिला कोडरमा झारखण्ड की मूल निवासी हु! मेरे परिवार में मेरे तीन बच्चे के साथ मै अकेली रहती हु!
मेरी घटना यह है की गाँव घर में होली को ले कर सब चहल पहल चल रहा था, मेरे पति गाँव में गाय भैसा इत्यादि चराने का काम करते थे , होली के दिन घर से खाना पीना खा कर निकले और गाँव के सब लोग ढोल तबिला ले कर गीत गा रहे थे वाही पर ये भी गीत गाने गए और उसमे सामिल हो गए, उधर से एक चौकीदार जा रहा था तो उसी मण्डली का कुछ लोग उसे बुला कर अबीर लगाये इतने में वो गुस्सा हो गया और थाना में जा कर बड़ा बाबू से बहुत कुछ कह सुनाया, कुछ ही देर में थाना से पुलिस वहा आ गई और गीत गाने वाले लोगो को लाठी डंडा से जम कर पिटाई किये कुछ लोग भाग गए और कुछ लोग नहीं भाग सके मेरा मरद भी नहीं भागा वो वाही खड़ा रहा पुलिस उसको बहुत मारा और गाली भी दे रहा था! यह बात हमें गाँव के लग बताए,की पुलिस आपके मालिक को पकड़ कर थाना ले गया है आप थाना जाइए और ले आइये, हम सुने तो बोले की मेरा पति गाय चरता है उसको क्यों ले जाएगा पुलिस हमें झूठ लगा की कोई मजाक कर रहा है, यह सुन कर हम अपने बेटा को थाना भेजे वह भी आ कर यही बात बोला तब हम रात को 8 बजे एक लड़का को ले कर उसके गाडी से थाना गए और थाना जा कर गेट खोल कर अन्दर गए तो बड़ा बाबु बाहर आ कर बोला कौन है हम बोले मेरा मरद क्या गलती किया जो उसे पकड़ कर ले आये है, इतना सुनते ही पुलिस हमें गन्दा गन्दा गाली देने लगा और मेरे साथ गए लड़का को बोला की गांड में पेट्रोल डाल कर मरेंगे यह सुन कर हमें डर लगने लगा की दुसे के बेटा को ले कर आये है कुछ कर देगा, हम बोले मेरा मालिक को छोड़ दीजिये तो बोला की अभी नहीं छोड़ेंगे कल सुबह भेजेंगे, पर कल सुबह फोन आया की बहुत बीमार है रिक्सा ले कर थाना बुलाया हम बोले की वो ले गया और हम रिक्सा कहा से लाये! फिर गाँव के कुछ लोग मोटरसाइकिल से ले आये पर मेरा मालिक कुछ बोल नहीं पा रहा था, उसका मुह खुला था और धीरे धीरे पूरा गंभीर हो गया, फिर हमलोग पुलिस को फोन कर के बताये तो पुलिस उसे अस्पताल ले गई वहा दो सुई लगा और फिर सदर कोडरमा चले आये, वहा से रिम्स भेजा गया जहा पर रस्ते में जाते जाते बरही में मेरा मरद दम तोड़ दिया,फिर वहा से वापस आया, और सदर में ला कर रखा दिया, उसके बाद रात के 9 बजे के करीब सब कोडरमा थाना वाले हमसे ठिपा मांगे, की लास छोड़ देंगे कोई हल्ला हुजत नहीं होगा, यह बोल कर हम ठिपा लगा दिए सुबह जा 4 बजा तो गाडी का ड्राईवर नहीं मिला फिर पुलिस आया और बोला की लिखा पढ़ी होगा तब छुटेगा, उसके बाद सब थाना पुलिस एक तफ़र हो गया और दरोगा नजर नहीं आने लगा सब यही बोलने लगे की आपका मर्द बीमारी से मारा है, उसी समु पत्रकार लोग फोटो लेने आये तब हम देखे की बहुत मार हुआ था मेरा मरद को पूरा दाग दिख रहा था पूरा शारीर पर चढ़ कर पैर से बुल (चल) दिया गया था, जब लास को उलट पलट किया तो पूरा मुह से खून उल्टी होने लगा, और लास के मुह से निकला बलुद से पूरा एम्बुलेंस भर गया था, हम रोने पटकने लगे हम कुछ बूल नहीं पा रहा इथे पत्रकार लोग ही पुलिस से पूछा तो कोई कुछ नहीं बुला लोग बोले की चढ़ कर शारीर पर बुल दिया है जिसके कारन यह ब्लड निकल रहा है!
फिअर हम जब पुलिस के खिलाफ थाने में आवेदन लिख कर दिए तो पुलिस मेरा आवेदन नहीं लिया, और अपने से एक आवेदन लिका और हमसे ठप लेने लगा तो हम कहने लगे की मेरा वाला क्यों नहीं लिया वो अपना क्यों लिखा उस पर वो बोला की पोस्टमर्दम के लिए ठेपा (अंगूठा का निसान) ले रहे है फिर ले कर गया,तो रास्ते में पेट्रोल पम्प के पास जमादार और दरोगा दोनों गाडी पर चढ़ कर सादा पेपर पर लाश से ठीपा लेने लगा तो हम लास का हाथ पकड़ लिए और बोले की हम अपना मरद के लाश से टीपा लेने नहीं देगे, तब छोड़ा,हम बोले की ये मारा हुआ आदमी से कौन ठेपा लेगा तू,
इस घटना के बाद पुलिस ने न कोई कार्यवाही की और न ही मामला दर्ज किया, जिससे की कुछ हो पाता मेरा मरद का हत्यारा पुलिस आज भी नौकरी कर रहा है और खुले आम घूम रहा है, ऐसा पुलिस तो गरीब के जान का दुश्मन है,
हम चाहते है की जो दोषी पुलिस वाला है उस पर केस हो और हमें न्याय दिया जाए!
इस घटना की रिपोर्टिंग करने के बाद किया गया हस्तक्षेप
सुने पीडिता के दर्द इस लिंक पर
फिर इन्साफ की कड़ी में आगे की कहानी
घटना वर्ष 2017 के होली की है झारखण्ड के कोडरमा जिले के सतगावा
प्रखंड गे टेहरो निवासी प्रदीप चौधरी को चौकीदार को रंग लगाने की शिकायत पर सतगावा
पुलिस प्रदीप चौधरी को थाना ला कर बड़ी
बेरहमी से पिटाई किया था, जिससे प्रदीप चौधरी को मौत हो गई थी| इस मामले पर
स्थानीय मानवाधिकार कार्यकर्ता ओंकार विश्वकर्मा द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयगो
ने 16 मार्च 2017 को मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करवाया गया था जिस पर आयोग
ने वाद संख्या 358/34/12/2017 दर्ज करते हुए कोडरमा पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट तलब
किया था, साथ ही राज्य के मुख्य सचिव से भी रिपोर्ट की मांग की गई थी| पुलिस के
रिपोर्ट पर संदेह होने पर आयोग के निर्देश पर आयोग के जांच विभाग
ने मामले की फाइल का विश्लेषण किया और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जो
बताती है कि मृतक प्रदीप चौधरी अराजकता के दौरान गिर गया क्योंकि पुलिस को चौकीदार
(ड्यूटी पर) द्वारा रंग के उपयोग के दौरान बुलाया गया था। होली का त्योहार। गिरने
से उनके सिर में चोट आई है। मृतक को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले
जाया गया, जहां उसका प्राथमिक उपचार किया गया।
जांच के दौरान वह शराब के नशे में पाया गया। पीएस की डायरी में कोई एंट्री किए
बिना उसे पीएस ले जाया गया। सुबह में, मृतक
को तीन मिर्गी के दौरे पड़े, लेकिन पुलिस द्वारा उसे कोई चिकित्सा
उपचार नहीं दिया गया। फिर उसे गांव के प्रधान और बुजुर्गों के पास छोड़ दिया गया।
हालांकि, उन्हें फिर से मिर्गी का दौरा पड़ा और
उनकी तबीयत बिगड़ गई। उसे सदर अस्पताल कोडरमा रेफर कर दिया गया। कोडरमा के सदर अस्पताल
ने उसे इलाज के लिए रिम्स रांची रेफर कर दिया। पीड़िता की 14.03.2017 को अस्पताल
ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई। जांच रिपोर्ट इस बात का सबूत दिखा है कि उन्हें
पीएस में गलत तरीके से कैद कर रखा गया था और उनकी स्वास्थ्य की स्थिति के बावजूद
उन्हें इलाज नहीं दिया गया था। एसपी कोडरमा ने पीएस सतगंवा के तत्कालीन एसएचओ के
खिलाफ मृतक की लापरवाही और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप में विभागीय जांच शुरू की
थी. आयोग ने माना कि पुलिस अपनी सामान्य डेयरी में कोई विवरण दर्ज करने में विफल
रही कि मृतक को उनकी हिरासत में क्यों रखा गया था,
इसके अलावा यह मृतक को समय पर उपचार प्रदान करने में विफल रहा, इस तथ्य के बावजूद कि चिकित्सा देखभाल प्रदान
करना पुलिस का कर्तव्य है। प्रत्येक व्यक्ति को उनकी हिरासत में। इस प्रकार इस
परिदृश्य में, पुलिस
ने इस मामले में मृत व्यक्ति के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है| इसकी पुष्टि
होने के बाद मानवाधिकार आयोग ने राज्य के 24 अगस्त 2021 को राज्य के मुख्य सचिव को
पीड़ित को मुआवजा भुगतान करने की अनुशंसा की थी< परन्तु राज्य ने पीड़ित को
मुआवजा भुगतान नहीं किया था| वही विभाग ने बताया की इस मामले में कार्यवाही करते
हुए थाना प्रभारी का पेंशन रोकने की कार्यवाही की गई, जिससे आयोग ने असहमति जताते
हुए पीड़ित को तीन लाख रुपया मौवाजा भुगतान करने को कहा जिस पर माननीय आयोग के आदेश
का पालन करते हुए राज्य के मुख्य सचिव द्वारा पीड़िटा को तीन लाख रूपये का मुआवजा
भुगतान फरवरी 2022 में कर दिया गया है|
पीड़ित को इन्साफ दिलाने के लिए हुए थे सड़क पर
आन्दोलन
इस मामले में पीड़ित को इन्साफ दिलाने के लिए
सड़क पर टायर जला कर लोगो ने थाना प्रभारी पर कार्यवाही के लिए आन्दोलन किया था
इस मामले पर कार्य करने वाली टीम
इस पुरे मामले पर तीन सदस्यों की टीम ने काफी गम्भीरता से काम किया था जिसमे मानवाधिकार जन निगरानी समिति से जुड़े मानवाधिकार कार्यकर्ता ओंकार विश्वकर्मा एवं उनकी पत्नी विनती विश्वकर्मा वीडियो वोलेंटियर एवं रांची उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सादाब अंसारी ने भी इस मामले पर सयुक्त पहल कर पीड़ित को इन्साफ दिलाने का कार्य किया|
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का ऑर्डर इस लिंक पर
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