महिला हिंसा और महिलाओ के साथ होने वाले उत्पीडन की घटना में पुलिस हमेशा शक के नज़र से देखती है| पुलिस यह मानती है की महिलाओ के आरोप हमेशा फर्जी होते है या महिलाये अपने इमोशनल का उपयोग कर के प्रताड़ित करने का कार्य करती है| शायद यही वजह है की भारतीय न्यायलय समय समय पर पुलिस को महिलाओ सम्बंधित मामले में कई आदेश दिए है और कार्यवाही को गंभीरता से लेने की बात कही है बावजूद पुलिस अपने हरकत से बाज़ नहीं आ रही है|
मामला झारखण्ड के कोडरमा जिले के डोमचांच प्रखंड के मधुबन पंचायत की है जहा की रहने वाली मुन्नी देवी के साथ उसके ही घर घुस कर दबंगों ने उसके साथ मारपीट छेड़ छाड़ के साथ प्रताड़ित करने के साथ अश्लील हरकत की जिस मामले में पीडिता ने स्थानीय डोमचांच थाने में दिनांक 6
नवम्बर 2020 को लिखित शिकायत की परन्तु स्थानीय पुलिस इस मामले को बार बार दबा दे रही थी, जब पीडिता ने दूसरी बार थाने में संपर्क किया तब पुलिस ने कार्यवाही के लिए पीडिता से 20 हज़ार रूपये डिमांड कर दिए| जिसके बाद यह मामला मानवाधिकार जन निगरानी समिति को दिया गया इस मामले को गंभीरता से लेते हुए समिति ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली में मानवाधिकार कार्यकर्त्ता ओंकार विश्वकर्मा द्वारा दर्ज करवाया गया जिसका वाद संख्या 32/34/12/2021 दर्ज करते हुए माननीय आयोग ने पुलिस अधीक्षक कोडरमा को नोटिस करते हुए कार्यवाही करने के आदेश दिए है| जिस मामले में जाँच अधिकारी विकास पासवान ने इस मामले को काफी घुमाया| परन्तु पीडिता ने भी काफी संघर्ष किये अंततः दिनांक 5/07/22 को डोमचांच थाना काण्ड संख्या 74/22 IPC की धारा 341,323,,325,448,354,504,34 दर्ज की गई| जो मानवाधिकार जन निगरानी समिति का एक सफल प्रयास माना जा सकता है|
No comments:
Post a Comment