मै नैना कुमारी पति मुकेश साव ग्राम खरगडीहा पोस्ट खरगडीहा थाना जमुआ जिला गिरिडीह की मूल निवासी हु ! वर्तमान में अपने पिता श्री विजय साव ग्राम महथाडीह पोस्ट डोमचांच थाना डोमचांच जिला कोडरमा झारखण्ड में रह रही हु !
मेरा विवाह सन 2013 में हिन्दू रीती रिवाज के साथ झारखण्ड धाम मंदिर हुआ था ! शादी के समय ही उन लोगो ने एक अंगूठी के लिए लम्बा विवाद कर दिया ! मेरी माँ उन लोगों के बीच हाँथ जोड़े कर माफ़ी मांगी और बोली की आपकी जो मांग है वो हम जरुर पूरा करेंगे पर अभी हमारा जितना औकात है उतना हम दे रहे है ! यह सब बात सुन कर हमको लगा की मेरी सास और ससुर पैसे के लिए ही जिन्दा है उन्हें बेटे बहु के ख़ुशी से कोई मतलब नहीं है ! उनके इस व्यवहार से मेरी माँ ने उनके मांग के अनुशार उनको अंगूठी ला कर दे दी ! उसके बाद वो भी अंगूठी मेरे पति के पास नहीं रहा वो मेरे पति अपने छोटे बहननोई को दे दिए! उसके बाद कुछ दिनों तक मेरा परिवार ठीक चला मेरे पति का एक होटल है जिसे वो काम करते है और घर का सारा खर्च चलाते है ! वो सप्ताह में के या दो बार घर आते है ! मेरे पति बहुत अच्छे थे वो कभी किसी से उलझना नहीं चाहते है पर मेरे घर वाले लोग मेरी जिदगी में आग लगा कर रख दी है जिससे हम और मेरा परिवार पूरी तरह परेशांन हो गए है ! इस तरह हम कई बार झगडा झंझट से जूझते रहे इसी दौरान मेरी एक बेटी हुई! फिर एक बार मेरी जिन्दगी में ख़ुशी आई मेरे घर में मेरे पति और हम काफ़ी खुस थे! पर गाँव घर के अलावे मेरी सास उतना खुश नहीं थी! उनका ताना बना ही रहता था मेरे पति हमें समझाते थे की उनको जो करना है करने दो हमलोग ठीक है कुछ नहीं होगा! पर उनके घर से जाने के बाद मेरी सास मेरे साथ झगड़ते रहती थी! यह सब बात हम अपने पति को नहीं बताते थे की घर में ज्यदा विवाद अच्छा नहीं होगा! हम खुद इन सब बात को छुपाते थे पर बात जब हद से आगे बढ़ जाता था तो बताना पड़ता था जिस कारण मेरे पति भी बहुत गुस्सा करते थे और फिर घर में झगडा हो जाता था मेरे सास जो जो कहती वही सब मेरे पति भी दुहराते थे! ऐसे हालत में मेरे पास रोने के सिवाए आवर कोई दूसरा रास्ता नहीं रहता था.! मेरा पति भी मेरे सास के सामने विवास थे! वो कहते थे की हम कुछ नहीं करेंगे माँ जो करती है करने देते थे ! यह सब विवाद को ले कर कई बार मौखिक पंचायत हुआ पर वो लोग कभी किसी तरह का पंचायत या समझौता नहीं मानते थे ! इसी तरह वक्त गुजरता गया फिर दूसरी बार हम गर्भवती हुए! ऐसे हालत में मेरी सार हमें भरी भरी काम करने के लिए कहती थी और हम जब काम नहीं कर पाते थे तब मेरी सास हमें तरह तरह के गाली गलौज से हमें परेशान कर देती थी,अपने सास की बात सुन सुन के मेरी जीन्दगी में रोने के सिवा और कुछ बचा नहीं था, अबकी बार हमें बेटा हुआ उस समय भी मेरी सास हमें फूटी आँख भी नहीं देख पा रही थी, हर बार हमसे झगडा ही करती रहती है, मेरे पति जब घर में रहते है तो झगडा कम करती है और मेरे पति के जाने के बाद उसका झगडा और तेज हो जाता है! यह सब हम कितना पति को सुनाते, उनको भी काम है हम उन्हें ज्यदा टेंसन में देखना नहीं चाहते थे! पर हालत ऐसा बन जाता था की नहीं चाहते हुए भी उन्हें टेंसन देना पड़ता था ! इस बार तो मेरी सास ने झगडा की सारी हदे पार कर दी थी ! हुआ ये की मेरे भगिना (अनिश) को मोबाइल का जरुरत था वो (मेरे पति) अपने मामा के दुकान जा कर मोबाइल ले कर घर (नानी घर) चला आया! और दो दिन मोबाइल चलाया और जब अपने घर जाने लगा तो मेर सास उसको (अपने नाती) पूछी की मोबाइल क्यों नहीं ले जा रह है तब वो बोला की मामा मना कर दिए ! इस बात को ले कर मेरी सास हमसे बहुत झगडा की बोली की यही मना कर दी होगी अपने पति को मोबाइल नहीं देने के लिए! और हज़ार तरह की बात बोल बोल कर हमें तंग तबाह कर दी यह सब बात हम अपने पति को नहीं बताये बस उनको इतना ही पूछे की मोबाइल क्यों नहीं दिए उसको इस बात पर मेरे पति बताये की हम उसको मोबाइल देने के लिए मन नहीं किये हम बोले की तुम 15 दिन बाद दूसरा मोबाइल ले जाना! यह सुन कर हम चुप हो गए! हम कर भी क्या सकते थे सास से झगड़ते तो पति डांटते और पति को कह सुनते तो वो टेंसन में आ जाते! हम कितना सहते उनका! बस लगे हाथ मेरी गौयतनी भी कई तरह के आरोप मेरे सर रख दी और चोरी का आरोप लगा कर बोली की 15 हज़ार रुपया और गहना जेवर भी चोरी कर ली है और तुम्हारा भाई एक एक बार 15सौ रुपया चोरी कर के ले गया था, यह सब सुन कर मेरे कान पाक गए मेरी सास हमको डायन तक कह डाली! यह सब होने के बाद हम खाना पीना छोड़ दिए 2 दिन हम भूखे रहे उसके बाद वो लोग खाना खाने के लिए कहने आये, मेरे मन में यह ख्याल आया की जब हम खाने लायक होते है तो आप खाने नहीं देते है और जब नहीं खाते है तो आप खाने के लिए कहने आते है फिर वो लोग हमें गाली देते हुए हज़ार तरह का बात बोल दीए उसके बाद हम जब आने लगे तो उन लोगों ने हमें यह कहते हुए घर से निकाल दिया की अबर इस घर में कदम रखी तो पैर तोड़ देंगे! अपना सत्रह पति रखती है और सत्रह पैदा करती है! उस समय मेरे पति वही थे और ये सब सुन के चुप चाप तमाशा देख रहे थे, हम यह सोच रहे थे की अब हम बच्चा भी पैदा करेंगे तो उनसे पुछ लेंगे बस इतना सोच ही रहे थे की तुरंत यह सुनने को मिला की हम अपना बेटा का दूसरा शादी कर लेंगे पर तुम चढ़ना नहीं! वही मेरी गोयतनी भी बोली की नया घर में पैर राखी तो पैर काट देंगे, मेरा बस चले तो हम तुमको जला कर मार दे, अब यह सब हम सुनने के काबिल नहीं थे बस जो साड़ी पहनी थी उसे ही पहन कर हम मायके आने लगे मेरे आने के क्रम में मेरी सास मेरा बैग चेक कर ली पर्स चेक कर ली और जो साड़ी पहन कर आ रहे थे उसे खोल कर रख देने को बोली! मेरी गोयतनी मेरे कमर से साडी खोलने लगी और पकड़ा कर खीच दी ! तब हम वो कपडा खोल कर वही रख दिए और अपना जो कपडा था उसे पहन कर चली आई जब हम आ रहे थे तो मेरी बेटी पापा के पास थी वो वही रह गई हम बेटे को ले कर चले आये !
हम कभी कोई गलत कदम नहीं उठाएंगे, पर हम चाहते है की इन लगो को एक बार सुधरने और सम्हलने का मौका देना चाहिए ताकि फिर किसी बेटी के साथ इस तरह का हरकत ना करे और दुरी बेटी को अपनी बेटी समझे !
पीड़ित का हस्ताक्षर
नैना कुमारी
signed copy भी पोस्ट करें। एकाध फोटो भी। मुझे भी इ-मेल करें।
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