The Sound of Voicelass

test

Breaking

Post Top Ad

Your Ad Spot

Wednesday, 23 August 2017

झारखण्ड की राजधानी रांची के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में खून नहीं मिलने से एक महिला की मौत

सेवा में
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली

विषय:- झारखण्ड की राजधानी रांची के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में खून नहीं मिलने से एक महिला की मौत

महोदय
हम आपका ध्यान झारखण्ड के राजधानी रिम्स की और आकृष्ट कराना चाहूँगा जहा पर एक गर्भवती महिला रुनिया देवी 22 की मौत खून समय पर नहीं मिलने के कारन हो गई। यह खबर दिनांक 23 अगस्त को प्रभात खबर में प्रकाशित की गई। जिसका लिंक http://www.prabhatkhabar.com/news/ranchi/woman-died-in-biggest-hospital-of-jharkhand-due-to-unavailability-of-blood/1043078.html संलग्न है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है की उक्त मामले में विशेष जाँच टीम द्वारा न्यायिक जाँच करते हुए दोषी पदाधिकारी/डाक्टर पर प्राथमिकी दर्ज करते हुए क़ानूनी कार्यवाही की जाए साथ ही पीडत परिवार को 10 लाख रुपया मुआवजा भुगतान किया जाए। कार्यवाही की एक प्रति हमें भी उपलब्ध कराइ जाए।
भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
राज्य संयोजक
मानवाधिकार जन निगरानी सामिति झारखण्ड
डोमचांच कोडरमा झारखण्ड
मोबाईल 9934520602
इमेल Onkar.670@gmail.com

खबर विस्तार से
रांची झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में एक गर्भवती महिला की मौत हो गयी, क्योंकि उसे वक्त पर खून उपलब्ध नहीं कराया गया. गुमला जिले के मुरकुंडा की निवासी रुनिया देवी (22) छह माह की गर्भवती थी. डोरंडा में रहती थी. परिजन बेहतर इलाज के लिए मंगलवार रात 9:40 बजे उसे रिम्स लाये थे. 
इमरजेंसी में मेडिसिन विभाग के डॉ जेके मित्रा के जूनियर डॉक्टरों ने उसका चेकअप किया. इस दौरान जूनियर डॉक्टरों को पता चला कि रुनिया गर्भवती है, तो उसे लेबर रूम भेज दिया. स्त्री विभाग में डॉ अनुभा विद्यार्थी के जूनियर डॉक्टरों ने खून की कमी बताते हुए उसे दोबारा इमरजेंसी में भेज दिया.
परिजनों से कहा गया कि महिला का ब्लड चार ग्राम है. खून चढ़ाना अत्यंत आवश्यक है, इसलिए इमरजेंसी में ही जिस डॉक्टर ने देखा है, उसे इलाज करने के लिए कहिए. आनन-फानन में परिजन उसे लेकर दोबारा इमरजेंसी में पहुंचे. पर वहां खून की बजाय पानी चढ़ाना शुरू कर दिया गया.
परिजन रात भर इमरजेंसी से लेबर रूम व लेबर रूम से इमरजेंसी का चक्कर लगाते रहे. इसके बाद रात 12 बजे खून चढ़ाने के लिए सैंपल लिया गया. ब्लड बैंक भेजा गया, लेकिन स्क्रीनिंग करा कर खून देने में सुबह के 5:00 बज गये. इस दौरान परिजन ब्लड बैंक के बाहर ही खड़े रहे. जैसे खून मिला, परिजन दौड़े-भागे इमरजेंसी पहुंचे. इमरजेंसी के डॉक्टरों से मिन्नतें कीं कि रुनिया को खून चढ़ा दें. इसी बीच, बुधवार सुबह 5:30 बजे रुनिया की मौत हो गयी.

रुनिया के पति पप्पू नायक ने कहा, ‘पत्नी को रिम्स में बेहतर इलाज के लिए लाये थे. एक निजी डॉक्टर से इलाज चल रहा था. घर में ही दवा दी जा रही थी. अगर पता रहता कि ऐसा हो जायेगा, तो पत्नी को कभी रिम्स नहीं लाते.’ रुनिया को अगर समय पर खून मिल जाता, तो उसकी जान बच जाती. ब्लड बैंक के इन-चार्ज डॉ आरके श्रीवास्तव ने बताया कि स्क्रीनिंग में डेढ़ से दो घंटा का समय लगता है. यदि पहले से खून दिया जाये, तो उसकी क्राॅस मैचिंग करने में आधा घंटा लगता है. मांग पत्र आने के आधे घंटे में खून दे दिया गया. 
वहीं, रिम्स के अधीक्षक एसके चौधरी ने कहा कि महिला के इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गयी. मेडिसिन व स्त्री विभाग के डॉक्टरों ने परामर्श दिया. महिला एनिमिक थी, उसमें खून की काफी कमी थी. खून के लिए ब्लड बैंक में 12 बजे सैंपल भेजा गया. वहां जांच में समय लगता है. जांच के बाद खून दिया गया. प्रबंधन स्तर से और जानकारी ली जा रही है.

No comments:

Post a Comment

बिहार के गया जिला के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के करीमगंज निवासी सह्बुदीन के मौत के बाद परैया पुलिस द्वारा परिजन की तलाशी किये बिना मृतक मुस्लिम युवक का दाह संस्कार करने के सम्बन्ध में

    सेवा में श्रीमान अध्यक्ष महोदय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली विषय :   बिहार के गया जिला के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के करीमगं...

Post Top Ad

Your Ad Spot