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Friday 8 September 2017

झारखण्ड के कोडरमा जिला में जिला अस्पताल सहित सभी निजी अस्पतालों का निबंधन फेल रहने के सम्बन्ध में

सेवा में
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली

विषय:- झारखण्ड के कोडरमा जिला में जिला अस्पताल सहित सभी निजी अस्पतालों का निबंधन फेल रहने के सम्बन्ध में

महोदय
हम आपका ध्यान झर्खाब्द के कोडरमा जिला स्थित जिला सदर अस्पताल की और आकृष्ट कराना चाहूँगा। जिसका निबंधन फेल है इसके अलावे कोडरमा जिला में जितने भी निजी क्लिनिक का संचालन किया जा रहा है उन सभी का निबंधन फेल है। ऐसे में जिले में स्वास्थ्य सुविधा भगवान भरोसे संचालित है इस दौरान अगर किसी मरीज को पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलती तो वह किसे जिम्मेवार ठहराएगा और कहा फरियाद करेगा एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। यह खबर हिंदुस्तान अख़बार में 5 सितम्बर को प्रकाशित की गई थी जिसका लिंक http://m.livehindustan.com/jharkhand/kodarma/story-all-the-centers-in-the-district-including-sadar-hospital-1450925.html संलग्न है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है की उक्त मामले को संज्ञान में ले कर पुरे मामले की न्यायिक जाँच कर सम्बंधित विभाग पर कार्यवाही करते हुए बिना निबन्धन  के सदर अस्पताल चलाने के मामले में 10 लाख रुपया जुर्माना लगाया जाए और जिले के सदर सहित सभी अस्पतालों को सभी सुविधा से लेस करते हुए निबंधन किया जाये। और पुरे मामले में कार्यवाही की प्रति हमें भी उपलब्ध कराइ जाए।
भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
मानवाधिकार कार्यकर्त्ता
डोमचांच कोडरमा झारखण्ड 9934520602

खबर विस्तार से

हिन्दुस्तान टीम, कोडरमाUpdated: 5 सितम्बर, 2017

जिले के सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य केंद्रों का रजिस्ट्रेशन फेल है। सदर अस्पताल बिना किसी रजिस्ट्रेशन के चल रहा है। मेडिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के समय 2013-14 में इस हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन कराया गया था, लेकिन उसके बाद आज तक अधिकारियों की लापरवाही के कारण रिन्यूअल नहीं हो सका है। सीएस डॉ.बीपी चौरसिया ने कहा कि रजिस्ट्रेशन से जुड़े कर्मचारियों को बुलाकर निर्देश दिया गया है। शीघ्र ही रजिस्ट्रेशन करा लिया जाएगा। बड़ा सवाल है कि जिला हॉस्पिटल बगैर निबंधन संचालित है। इतना ही नहीं इस सदर हॉस्पिटल के अलावा जिले के सभी सरकारी अस्पतालों का भी निबंधन नहीं है। फिलहाल जिले में एक रेफरल, चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 65 स्वास्थ्य उप केंद्र संचालित हैं। लेकिन 2013 - 14 के बाद इन सभी सरकारी अस्पतालों का निबंधन का कभी रेन्यूअल किया ही नहीं गया और ये भी बगैर रजिस्ट्रेशन के संचालित हैं। ऐसे में लोग सरकारी स्वा. सिस्टम पर सवाल उठना लाजिमी है। सीपीएम नेता व अन्य ने उठाए सवाल सीपीएम नेता रमेश प्रजापति ने सवाल उठाते हुए कहा कि नियम सबके लिए जरूरी है। निजी क्लीनिकों को बंद कराया जा रहा है, अब सरकारी अस्पताल भी बिना निबंधन संचालित हैं। यह गंभीर विषय हैं। बता दें कि मेडिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत कोडरमा में इन दिनों निजी क्लीनिक पर करवाई की जा रही है और बगैर रजिस्ट्रेशन चलने वाले 47 निजी क्लीनिकों को 45 हजार रु.का जुर्माना भी लगाया गया है। ऐसे में अब निजी क्लीनिक के संचालक भी मेडिकल इस्टैब्लिश एक्ट को लेकर सरकार के दोहरे चरित्र पर सवाल उठा रहे हैं। निजी किलिनीक संचालकों ने सरकारी अस्पतालों पर भी जुर्माना लगाने की अपील की है। निजी व सरकारी हॉस्पिटल के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी सरकारी प्रावधानों के मुताबिक मेडिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों को निबंधन कराना जरूरी है और दोनों तरह के अस्पतालों की प्रक्रियाएं भी एक है। अंतर सिर्फ इतना है कि निजी क्लीनिक को रजिस्ट्रेशन के लिए एक राशि जमा करानी पड़ती है जबकि सरकारी अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन नि.शुल्क किया जाता है। बावजूद इसके सदर अस्पताल समेत सभी सरकारी अस्पताल बगैर निबंधन के संचालित हैं,तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है।

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