सेवा में
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली
विषय : झारखंड के उप राजधानी दुमका के सदर अस्पताल में मरीज को कफ़न के जगह प्लास्टिक फ्लेक्स बैनर से लास ढकने के सम्बंध में
महोदय
हम आपका ध्यान झारखंड के उप राजधानी दुमका स्थित सदर अस्पताल की ओर आकृष्ठ कराना चाहूंगा जहा पर सदर अस्पताल प्रबन्धन ने एक मृत लास को कफन के जगह प्लास्टिक फ्लेक्स बैनर से ढक कर स्ट्रेचर पर घसीटते हुए पोस्टमार्डम के लिए ले गए यह खबर स्थानीय अखबार संथाल परगना खबर में दिनांक 28 जनवरी 2018 को प्रकाशित की गई जिसका लिंक http://santhalparganakhabar.com/%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A4-%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A5%9C%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%95-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%95%E0%A5%9E%E0%A4%A8-%E0%A4%A8%E0%A4%B8/amp/ संलग्न है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है कि उक्त मामले की न्यायिक जांच करते हुए दोषी पदाधिकारी पर कानूनी कार्यवाही करने की कृपा करें और कार्यवाही की एक प्रति हमे भी उपलब्ध कराए।
भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
मानवाधिकार कार्यकर्ता
शहीद चौक डोमचांच कोडरमा झारखंड
सम्पर्क 9934520602
खबर विस्तार से
अस्पताल प्रबंधन ने राष्ट्रीय स्वस्थ मिशन के बैनर में लाश को ढंक कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा
झारखंड कि उपराजधानी दुमका में मानवता को शर्मसार कर देने बलि घटना घटी ,छोटी मोटी दुर्घटना के शिकार यहाँ इलाज के लिए आते हैं तो सक्षम लोगों को रेफर कर दिया जाता है और अक्षम लोग यहीं पर काल के गाल में समा जाते हैं ,झारखंड सरकार पहाडिया जनजाती के लिए सिर्फ घोषणाएं करती है . लेकिन दुमका के स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस पहाडिया मृत युवक के साथ जो किया गया वो वाकई शर्मशार कर देने वाली घटना है ,अस्पताल प्रबंधन की विवेक खत्म हो गयी है। विभाग ने एक मृत व्यक्ति को कफन के बदले प्रचार बैनर में लपेट कर शव को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया। इस मामले में अस्पताल उपाधीक्षक ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुये सरकार द्वारा कफ़न उपलब्ध नहीं होने के कारण यह घटना बताया वही सिविल सर्जन ने पूरे मामले को जाँच कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई करने का
जरा देखिये इस मानवता को . . स्ट्रेचर पर स्वास्थ्य विभाग के बैनर से ढंक कर ले जा रहे कोई मशीन नहीं बल्कि एक शव है जिसे कफ़न नहीं होने के कारण प्रचार के बैनर से शव को ढंक कर सरेआम पैदल पोस्टमार्टम हाउस विभाग के कर्मी ले जा रहे है इन्हे इस तरह ले जाने में शर्म भी नहीं हो रही है। स्ट्रेचर को घसीटते हुए शव को ले जा रहे है। सरकार के स्वास्थ्य महकमा के इस कृत्य को देख कर आम इंसान शर्मशार हो गया लेकिन प्रबंधन को इस कार्य से तनिक भी लज्जा महसूस नहीं हो रही है चूँकि इनके आँखों से शर्म लज्जा का पर्दा हट चूका है। दरअसल दुमका स्वास्थ्य विभाग ने परिजनों के पास पैसे नहीं रहने के कारण एक मृत व्यक्ति को कफन के बदले प्रचार का बैनर लपेट कर शव को पोस्टमार्टम हाउस के लिए भेज दिया।परिजन के पास कफन के पैसे नही थे।जबकि दुमका सदर अस्पताल 300 /500 बेड का है , यहां मरीज तो दूर की बात यह शव को ढकने के लिए कफन भी नही मिलती है।यह मृत युवक बसंत देहरी गोपीकांदर थाना क्षेत्र के दलदली गांव का रहने वाला बताया जाता है ,यह आदिम जनजाति समुदाय का गरीब व्यक्ति है।कल एक सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद इलाज के लिए दुमका सदर अस्पताल पहुचा हुआ था।जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।मृतक के भाई के पास इतने पैसे नही थे कि उसे कफन दे पाते।ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने कफ़न नहीं होने के कारण इस शव को स्वास्थ्य विभाग के प्रचार बैनर से ढक कर शव को स्ट्रेचर के जरिये पैदल पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा दिया । स्वास्थ्य विभाग के इस कारनामे से कई राजनीतिक दलों ने तीव्र आलोचना कर पूरे प्रकरण की जांच की मांग की है और कहा है कि भाजपा सरकार सिर्फ राज्य के जनता को स्वपन दिखाती है वास्तविक में यहां लाश को कफन भी नसीब नही होता है।इसके लिए नेताओ ने भाजपा के रघुवर सरकार को दोषी ठहराते हुए अविलम्ब कार्रवाई की मांग की है।
गौरतलब है कि पहाड़िया जनजाति संथाल परगना में विलुप्त होने के कगार पर है सरकार इसके उत्थान के लिए प्रति वर्ष करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा रही है। लेकिन सरकार के मुलाजिम के लापरवाही के कारण इन समुदायों का विकास नहीं हो पा रहा हैं। जब हम इस मामले में अस्पताल के उपाधीक्षक दिलीप केशरी से बात की तो उन्होंने बताया कि यहाँ अस्पताल द्वारा मरीज के इलाज या मरने के बाद तेल सहीत एम्बुलेंस दिया जाता है मगर कफ़न की कोई व्यवस्था यहाँ नहीं है। वही सिविल सर्जन ने कहा की इस अस्पताल में मरीजों के लिए सभी व्यवस्था किया जाता है मरने के बाद भी कफ़न की व्यवस्था अस्पताल करती है। उन्होंने पूरे मामले को जाँच करते हुए दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है।
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