सेवा में
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली
विषय:- झारखंड के कोडरमा जिला के डोमचांच प्रखंड के मधुबन पंचायत के उप स्वास्थ्य केंद्र में दलितों के इलाज में भेद भाव करने व दाम से अधिक पैसा लेने के संबंध में
महोदय
हम आपका ध्यान झारखंड के कोडरमा जिले के डोमचांच प्रखंड के मधुबन पंचायत स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र में ए एन एम नीलू लतिका द्वारा दलित महिलाओं कर साथ भेद भाव किया जाता है। दवाइयां फेक कर दी जाती है। इसके अलावे दलित महिलाओं कोबापने से दो कदम की दूरी पर खड़ा रहने को कहती है। किसी भी मरीज को हाथ लगा कर नही देखती है। इसके अलावे इलाज के नाम पर मोटी रकम दलित महिलाओं से वसूलती है। यह ख़बर दैनिक अखबार रांची एक्सप्रेस में दिनांक 26 मई 2018 को प्रकाशित किया गया।जो संलग्न है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है कि उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच की जाए और जांच में पुष्टि होने पर ए एन एम के ऊपर संगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करवाते हुए कानूनी कार्यवाही की जाए। कार्यवाही की एक प्रति हमे भी उपलब्ध करवाया जाए।
भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
मानवाधिकार कार्यकर्ता
शहीद चौक डोमचांच कोडरमा
झारखंड 825418
संपर्क 9934520602
ख़बर विस्तार से
संध्याकालीन स्वास्थ्य चौपाल के आयोजन के दूसरे दिन ही एएनएम पर पैसे लेने लगा गंभीर आरोप
दलित महिलाओं ने एएनएम पर हिन भावना कि नज़र से देखने का लगाया आरोप
दवा,किट व सुई कि कमी नहीं दोषी पाए जाने पर एएनएम पर कि जाएगी कार्रवाई. डा.रंजीत
कोडरमा : डोमचांच प्रखंड के मधुबन पंचायत भवन के भेलवाटांड़ मैदान में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा बुधवार को संध्याकालीन स्वास्थ्य चौपाल का आयोजन किया गया था और दूसरे दिन ही एएनएम पर इलाज के बदले पैसे लेने का आरोप लगा
कार्यक्रम में कोडरमा उपायुक्त, सिविल सर्जन डॉ.योगेंद्र महतो,डॉ.रंजीत कुमार एवं अन्य पदाधिकारियों की उपस्थिति में स्वास्थ्य संबंधित ढेर सारी योजनाओं की जानकारी दिया गया था जिसमें सरकार के द्वारा छोटी बीमारियों में भी आर्थिक मदद की बात कही गई थी
लेकिन इसके उलट दुसरे दिन ही स्थानीय ग्रामीणों ने उप स्वास्थ्य केंद्र भेलवातांड मे कार्यरत एएनएम निलु लतिका कुमारी पर इलाज के बदले पैसे लेने का आरोप लगाया दलित महिलाओं ने आरोप लगाया कि आज के दौर में भी एएनएम के द्वारा हिन भावना कि नज़र से देखा जाता है हम लोगों को दवाईयां फेंक कर देती है
क्या कहते हैं ग्रामीन
भेलवातांड निवासी डोली देवी ने आरोप लगाया मैं गर्भवती महिला हूं और 4 माह गुजर जाने के बाद जब मैं उप स्वास्थ्य केंद्र के एएनएम से गर्भ जांच एवं टेटनेस की सुई लगाने की बात कही तो एएनएम के द्वारा बताया गया कि अभी कीट एवं सुई मौजूद नहीं है अगले महीने आना जब मैंने पैसे की बात कही तो एएनएम ने कहा कि अभी प्राइवेट से
भी किट मौजूद नहीं है जब किट लाएंगे तो जांच कर देंगे महिला ने बताया जांच के बदले एएनएम के द्वारा 60/-रु मांगा गया
वहीं दूसरी महिला अंजु देवी ने कहा कि डिलीवरी के बाद कार्ड बनाने के एवज में 200/-रु की मांग की गई एवं एक सुई लगाई थी जिसके लिए 60/-रु मांग रही थी
वही कई महिलाओं ने गर्भ जांच के लिए 60/-रु लेने का आरोप लगाया एवं कई महिलाओं ने डिलीवरी कराने की एवज में 500/-रु तो कईंयों ने हजार-हजार रुपए लेने की बात कही कई महिलाओं ने तो गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हम दलितों का अगर साड़ी सट जाने से एएनम के द्वारा भद्दी-भद्दी बातें कही जाती है एवं निचा जाति कहकर संबोधित किया जाता है जिससे हम महिलाओं का अपने बच्चों तक को उप स्वास्थ्य केंद्र नहीं लाते हैं कहीं अगर कोई बच्चा पेशाब कर दें तो एएनएम के द्वारा अपशब्द कहा जाता है
क्या कहते हैं चिकित्सा प्रभारी
चिकित्सा प्रभारी डॉ रंजीत कुमार ने बताया कि किसी भी प्रकार की किसी भी दवाओं की कमी नहीं है अगर दवा नहीं है तो इसकी लाने की जिम्मेदारी एएनएम की होती है और किसी प्रकार से भी पैसा लेना गलत है उप स्वास्थ्य केंद्र में किसी भी दवा,किट या सुई का पैसा नहीं लिया जाता है उन्होंने आगे बताया कि सभी सुविधाएं सरकार के द्वारा निशुल्क दिया जाता है अगर एएनएम पर लगाए गए आरोप सही पाई गई तो एएनएम पर कार्रवाई की जाएगी
देखने वाली बात यह है कि उपायुक्त कोडरमा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से संध्याकालीन स्वास्थ्य चौपाल का आयोजन किया जाता है जिसमें बड़ी-बड़ी योजनाओं की जानकारी दी जाती है उपायुक्त एवं सिविल सर्जन के द्वारा बताया जाता है कि छोटी बिमारीयों में भी दस हजार रुपये तक की आर्थिक मदद की जाती है लेकिन पिछले वर्ष में मात्र पूरे जिले भर में 25 लोगों ने ही इसका लाभ उठाया था जहां जिला प्रशासन ये ढिंढोरा पीट रहा है वही स्वास्थ्य व कर्मी एएनएम के द्वारा गरीबो का आर्थिक दोहन किया जा रहा अब देखना यह है कि स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन इस एएनएम पर क्या कार्रवाई करती है जिसे सरकार के द्वारा मासिक वेतन के तौर पर मोटी रकम दी जाती है फिर भी गरीबों के खून पसीने की कमाई को ऐंठने में बाज नहीं आ रहे हैं
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