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Wednesday 14 November 2018

पुलिस और अस्पताल प्रबंधन द्वारा एक दूसरे पर अपनी जिम्मेवारी फेकने के कारण 30 घंटे तक हॉस्पिटल व्हीलचेयर पर लाश पड़े रहने के संबंध में

सेवा में
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्टीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली

विषय :- पुलिस और अस्पताल प्रबंधन द्वारा एक दूसरे पर अपनी जिम्मेवारी फेकने के कारण 30 घंटे तक हॉस्पिटल व्हीलचेयर पर लाश पड़े रहने के संबंध में

महोदय
हम आपका ध्यान झारखंड के गुलाम जिले के सदर अस्पताल की ओर आकृष्ठ कराना चाहूंगा जहा पर गुमला पुलिस द्वारा एक अधेड़ व्यक्ति (जीवित)को सदर अस्पताल के व्हीलचेयर पर बैठा कर चले गए। अस्पताल प्रबंधन उसका निबंधन भी किया पर अस्पताल प्रबंधन को उसका नाम पता कुछ भी नही मालूम और वह व्यक्ति व्हीलचेयर पर ही मर गए। उसी हाल में 30 घंटे तक अस्पताल में पड़ा रहा जिसकी किसी ने सुध नही ली। यह ख़बर दैनिक अखबार प्रभात ख़बर में दिनांक 14 नवम्बर 2018 को प्रकाशित की गई जिसका लिंक https://www.prabhatkhabar.com/news/gumla/gumla-unclaimed-zombies-sitting-on-wheel-chair-for-30-hours-hospital-management-did-not-recover/1223458.html संलग्न है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है कि उक्त प्रकरण में पुलिस की भूमिका और अस्पताल की भूमिका की जांच करवाई जाए और दोषी अधिकारी पर कानूनी कार्यवाही की जाए कार्यवाही की एक प्रति हमे भी उपलब्ध कराया जाए।
भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
मानवाधिकार कार्यकर्ता
डोमचांच कोडरमा झारखंड 825418
संपर्क 9934520602

ख़बर विस्तार से

गुमला : सदर अस्पताल में लावारिस लाश के साथ मजाक हुआ है. 30 घंटे तक शव को व्हील चेयर में बैठाकर रखा गया. शव चेयर में इस स्थिति में बैठा था. मानो की वह सो रहा हो. लेकिन अस्पताल के किसी भी कर्मी ने शव को चेयर से उतारकर स्ट्रेचर में रखने का प्रयास भी नहीं किया. यहां तक कि गुमला थाना की पुलिस भी वहां मौजूद थी, लेकिन पुलिस ने भी अपने स्तर से शव को स्ट्रेचर में सुलाकर रखने का प्रयास नहीं किया.


जिस स्थान पर शव था. उसी के बगल में भोजनालय था. मरीज नास्ता लेने के लिए शव के बगल से ही भोजनालय आ जा रहे थे. आने-जाने वाले लोग शव को चेयर में बैठे देखते रहे. लोग कह रहे थे. यह लाश के साथ कैसा मजाक हो रहा है. लोग बोल रहे थे. कोई शव को सुलाकर क्यों नहीं रखा रहा है. कुछ लोगों ने अस्पताल कर्मियों को इसकी जानकारी भी दी. लेकिन किसी ने शव को चेयर से उतारकर पोस्टमार्टम हाउस ले जाने की मानवता भी नहीं दिखायी. 

जब प्रभात खबर के संज्ञान में मामला पहुंचा तक इसकी जानकारी अस्‍पतालकर्मियों को दी गयी. तब अस्पताल प्रबंधन ने गुमला पुलिस को एक पत्र लिखा. जिसमें अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस विभाग से शव को उठाने की मांग की. अंत में मामला गरमाता देख अस्पताल प्रबंधन ने बुधवार को दिन के दो बजे शव को चेयर से उतारकर पोस्टमार्टम हाउस में रखा. 


अस्पतालकर्मियों ने बताया कि मंगलवार की सुबह को गुमला पुलिस एक अधेड़ व्यक्ति को लेकर अस्पताल आयी थी. स्थिति को देखते हुए उसे व्हील चेयर से अस्पताल के अंदर लाया गया. लेकिन कुछ देर के बाद ही अधेड़ की मौत हो गयी. अधेड़ की मौत के बाद शव को चेयर में रख दिया गया. इसके बाद चेयर के साथ शव को एक कोने में रखा दिया गया. 

30 घंटे तक शव चेयर में पड़ा रहा. लेकिन किसी ने शव की सुध नहीं ली. जिस स्थान पर अधेड़ का शव चेयर में था. उसी के बगल में स्ट्रेचर में एक अन्य महिला का भी शव रखा गया था. शुरू में जो लोग भी चेयर में बैठे शव को देख रहे थे. उन्हें लग रहा था कि महिला की मौत के गम में उक्त व्यक्ति इस प्रकार चेयर में बैठा है. लेकिन जब कुछ लोगों ने बताया कि उक्त व्यक्ति जिंदा नहीं, चेयर में ही मर गया, तो उसे चेयर में ही छोड़ दिया गया.

* डीएस ने लिखा थानेदार को पत्र

24 घंटे से अधिक समय तक अस्पताल के एक कोने में शव पड़ा रहा. उसकी पहचानी करने का प्रयास की गयी. जब शव की पहचान नहीं हुई तो सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ आरएन यादव ने गुमला थाना प्रभारी को एक पत्र लिखे. जिसमें उन्होंने लावारिस लाश को उठाने की मांग की. पत्र में डीएस ने कहा है कि 13 नवंबर को एक लावारिस मरीज को अस्पताल में लाया गया था. उसका निंबधन संख्या 8443 है.

बेड नंबर 18 में उसे भरती कराया गया था. जिसका इलाज के दौरान मौत हो गयी. डीसी ने कहा है कि लावारिस हालात में शव रखा रहने से मरीजों को परेशानी हो रही है. लिए शव को उठाने की मांग की गयी है.

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