बेटा और बेटी में फर्क समझने वाला समाज अपने घर के बहुओ की जिन्दगी तबाह करने में लगी है| वही दूसरी ओर पढ़े लिखे डाक्टर भी इसे कमाई का मजबूत जरिया मानते है|
जो इस पुरे बाग़ की बागवान है उसके दर्द को कौन सझता है? हां वो औरत है| जिसने इस श्रृष्टि को बनाई है| वो औरत ही है जो एक मर्द को जन्म देती है और वह मर्द इस खोखले समाज की सोच और मानसिकता में पलते बढ़ते हुए खोखला हो जाता है और वह फिर एक दिन उसी औरत का दुश्मन बन जात है जिसने उसे दुनिया में लाई | और यह सब के पीछे हमारे समज की दोगली मानसिकता और औरतो को उपभोग की वस्तु समझने वाला समाज औरतो पर लाखो जुल्म ढाने का इतिहास सदियों से लिख रहे है| इस इतिहास को पढ़ कर औरते लगातार सवाल पूछ रही है और वह एक मूक दर्शक की तरह औरतो पर हमले किये जा रहा है| सवाल है कि यह सब उस भारत में हो रहा है जहाँ औरत को आदि शक्ति, जगत जननी और न जाने क्या क्या उपाधि दिया गया है|
हां हम बात कर रहे है भारत में होने वाले भ्रूण हत्या
पर, एक ओर जहा आज हमारा देश प्रगति कर पुरे ब्रम्हाडं पर शोध कर के नई – नई
उपलब्धि की गाथा लिख रहा है तो वही मनवा के श्रृष्टि की जननी जो एक औरत है उसे
धरती पर आ कर वैज्ञानिक शोध करने से पहले उसे गर्भ में ही मार दिया जा रहा है|
हम 19 वी सदी से निकल कर इक्कीसवी सदी के वर्ष
2022 में चल रहे है और हमारे लिए यह एक बड़ी ख़ुशी की बात है की देश का लिंगानुपात
71 साल बाद 1000 पुरुष पर 1020 महिलाएं हुई है | वही पढाई के मामले में भी महिलाये
अपना परचम लहराई 2020 में महिला साक्षरता दर 84.7 दर्ज की गई है!
अब जब महिलाये दुनिया के विभिन्न क्षेत्र में
अपना परचम लहरा रही है और भारतीय संस्कृति सभ्यता को संजोते हुए घर के चूल्हे से
ले कर देश के सदन तक हर जगह मोर्चा ले रही है तो वही दूसरी ओर झारखण्ड के कुछ
इलाको से आने वाली वाली खबरे पुरे देश को शर्मशार कर रही है|
यह खबरे इतना बताने के लिए काफी है की जो दुनिया
के बड़े बड़े अस्पतालों में पढ़ कर डाक्टर की डिग्री ले कर आते है उन्हें डिग्री
मिलने के बाद पैसे के लालच में इस कर डूब जाते है की उन्हें समझ में नहीं आता की
वह क्या करने जा रहे है और क्या कर रहे है? उनकी सारी समझदारी और जबाबदेही इस बात
पर आकर खत्म हो जाती है जब इन्हें या तो अधिक पैसे का लालच दिया जात है या फिर
बेटी का ब्याह कैसे करेंगे जैसे इमोशनल शब्द से बंधा जाता है? लिंग जाँच और ओबर्शन
जैसे घिनौने मामले में झारखण्ड का कोडरमा, हजारीबाग़, गिरीडीह, धनबाद जैसे जिले प्रशिद्ध
है इन जगहों पर लिंग जाँच के साथ गर्भपात की सुविधा पर्याप्त उपलब्ध है और इस
कार्य के लिए सम्बंधित अधिकारी के साथ अन्य सम्बंधित’ तमाम सरकारी अधिकारी तक मोटी
रकम पहुचती है जिसके एवज में कार्यवाही सिर्फ जाँच तक ही सियमित रहती है|
कोडरमा से आने वाली 11 मार्च 2022 की खबर बेटे
की चाह में कराइ लिंग जाच बेटी होने की सूचना पर गर्भपात कराना पड़ा महंगा| यह
खबर इतना समझने के लिए काफी है समाज एक बेटी के जन्म को रोकने के लिए एक महिला के
जान का दुश्मन बन गया| बेटे के लालच में लिंग जाँच करवाया परन्तु पैसे के लालच में
लिंग जाँच भी हुआ और गर्भपात भी हुआ| और परिणाम मौत मिला| विगत दिनों कोडरमा में
बड़े पैमाने पर लिंग जाँच केन्द्रों पर छापेमारी की गई तब सवाल उठता है की लिंग जाँच
कहा हुआ?
ऐसे में यह समझना बेहद जरुरी होता है कि कोडरमा
गिरडीह और हजारीबाग तीनो जिला आपस में सटा हुआ है डाक्टारो और बिचौलिए के गहरे
लिंक है इधर नहीं तो उधर| जिसे इस घटना से समझा जा सकता है| विगत दिनों एक मामला
मरकच्चो से प्रकाश में आया था जहा पर मरकच्चो सेवा सदन अस्पताल के झोला छाप डाक्टर
ने एक महिला से पैसा ऐठने के चक्कर में उसे गिरिडीह के सरिया काला रोड स्थित कथित झोला
छाप क्लिनिक सुलोचनी सेवा सदन ले जा कर अल्ट्रासाउंड करवाया और उस रिपोर्ट के आधार
पर अपने यहाँ ला कर उसका ओपरेशन किया| जिस महिला का ओपरेशन किया गया वह आज भी
जिन्दा लाश बनी हुई है| इस मामले पर मानवाधिकार की टीम ने जब अस्पताल की पड़ताल
करने पहुची तब उक्त अस्पताल प्रबधक ने तत्काल कथित पत्रकारों की एक फ़ौज खड़ा कर दी,
जो पत्रकार कम गुंडे ज्यादा थे| जिसके बाद कथित पत्रकारों ने खुले शब्दों में कहा
की इस इलाके में कोई टीम काम नहीं करता है जो करते है हमलोग करते है हम जो लिखेंगे
वही होगा| और यह सब दो घंटे से अधिक चला जिसके बाद पत्रकारों ने सुलोचनी सेवा सदन
से अपने शब्दों में मुद्रा मोचन (पैसे) ले कर निकल दिए अस्पताल प्रबंधन ने उन सभी
के लिए हर्ष व्यक्त किया| मतलब साफ़ था की इस तरह के अस्पताल से वह भी चल रहे है,
जिन्हें इन सब की जानकारी है|
जिसके बाद उक्त अस्पताल की बड़ी शिकायत विभाग से
की गई, विभाग को कार्यवाही के लिए लिखा गया परन्तु कार्यवाही के नाम पर विभाग ने
कोरम पूरा कर दिया|
अगर गिरिडीह सदर अस्पताल के पुराने रिकॉर्ड को
खंगाला जाए तो कई साक्ष्य सामने आयेंगे जिसमे फर्जी लेटर पेड पर दिए गए रिपोर्ट पर
मातृत्व सुरक्षा योजना का लाभ बड़े पैमाने पर आवंटित किया गया है जिसमे सरिया के
काला रोड स्थित सुलोचनी सेवा सदन से जारी हुए है जिसमे डाक्टर के नाम और डिग्री की
कोई जिक्र नहीं है फिर भी वह विभाग द्वारा पास किया गया है और पैसे भुगतान किये गए
है| सुलोचनी सेवा सदन जिस डाक्टर के नाम पर कार्य कर रहा है वह डाक्टर का प्रमाण
पत्र के आधार पर क्लिनिक चल रहा था जब उस डाक्टर से संपर्क की गई तो डाक्टर साहब ने
कुछ भी बताने से इंकार कर दिया|
भ्रूण का लिंग जाँच कोडरमा, गिरिडीह और धनबाद और
हजारीबाग के बिचौलिए का एक संयुक्त ग्रुप की तरह कार्य करता है जहा पर पैसे के
लालची डाक्टर अपने ईमान और मानवता को गिरवी रख कर हत्या का गन्दा खेल दिन रात
खेलते है| जिसके लिए कई स्पॉट पॉइंट है जो बड़े पैमाने पर चुपके छुपाते इस कार्य को
धडल्ले से कर रहा है और वहा ऐसे लोगो का आना जाना लगा रहता है|
कोडरमा के तिलैया में लगातार छापेमारी की वजह से
अब ओमनी गाडी का उपयोग किया जा रहा है तो वही ग्रामीण इलाके में क्लिनिक खोल कर
कार्य किये जा रहे है जिसमे जयनगर, मरकच्चो चंदवारा, वही गिरिडीह में सरिया के कई
क्लिनिक के साथ सुलोचनी सेवा सदन जैसे क्लिनिक प्रमुख रुप से सामिल है, वही
हजारीबाग का विष्णुगढ़ हॉस्पिटल चौक इस मामले में सबसे प्रशिद्ध जगह है जहा पर हर
मेडिकल स्टोर चंद रूपये कमीशन में ग्राहक ट्रांसफर करते है| जो धनबाद, बोकारो,
हजारीबाग,और सरिया भेजे जाते है|
एक अल्ट्रासाउंड संचालक की माने तो वह बताता है की इस कार्य में हर डाक्टर पैसे की
कमाई के लिए आना चाहता है इस लिए नहीं की वह किसी की जान बचा सके वह इस लिए की
इसमें कमाई अधिक है जितना वह पुरे दिन 10 मरीज देख कर कमाते है उतना यहाँ दो जाँच
में कमा लेंगे इस वजह से उन्हें यह सब करना गवारा नहीं लगता है| उनसे पूछने पर की
आप ऐसा क्यों करते है किसी की जान ले रहे है? वह बताते है की हम जान लेने से
ज्यादा जान बचाते है| क्योकि कई कुवारी लड़कियां हमारे पास आती है जाँच कारवां कर
ओबर्शन करवाने के लिए, तो कई गरीब परिवार पैसे के आभाव में बच्चे नहीं पाल सकते है
तो उन्हें लड़की नहीं चाहिए होता है, वह लड़का चाहते है इत्यादि...
रोक थमा के लिए उन डाक्टारो को करना होगा
प्रशिक्षत के साथ जागरूक
भ्रूण जाँच कर गर्भपात करने की प्रक्रिया
डाक्टारो के नज़र से हो कर गुजरती है जिसे रोकने के लिए डाक्टर सक्षम है परन्तु
इसके लिए डाक्टारो को जागरूक करने की दिशा में एक बड़ी जिम्मेवारी देने की जरुरत है
साथ ही उन्हें जाँच करने वाले और करवाने दोनों पर कार्यवाही करने की तैयारी भी
होनी चाहिए| चुकी इसे करना और करवाना दोनों अपराध है अगर इस तरह के मामले सामने
आते है तो प्राथमिकी दोनों पर दर्ज करते ही क़ानूनी कार्यवाही शुरू करनी चाहिए ताकि
इस चैन को तोड़ा जा सके| जिस तरह पोक्सो को मजबूत बनाया गया है बिलकुल उसी तरह इस
कानून में भी कार्यवाही को अनिवार्य करने की जरुरत महसूस होती है!
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