मै मधु देवी ,पति संजय यादव .ग्राम बादेडीह
,पोस्ट माल्डा जिला गिरिडीह का एक पीड़ित महिला हू |मेरी शादी २००८ में हुई थी अभी
मेरे 2 बेटी है!
मै अपनी शादी से बहुत खुश थी मेरे पूरा परिवार
शादी से खुश थे |मै अपने ससुराल में अपनी जिन्दगी हंसी ख़ुशी से गुजर रही थी और मै
एक साल बाद २००९ में माँ बन गई थी ये ख़ुशी सबको थी और सबलोग बहुत खुश थे किसी को
कोई अप्पति नहीं थी फिर २०१३ में मै माँ बनी और एक बच्ची को जन्म दि उसके बाद मेरे
हरी भरी ख़ुशी को ससुराल के लोग आग लगा दिए मेरी बच्ची को देखते ही ताने कसने लगे गाली
–गलौज करने लगी मेरी तो होस ही उड़ गई की आखिर मै गलत ही क्या की है मै एक बच्ची को
जन्म देकर कोई पाप तो नहीं की है मेरे ससुराल के लोग तरह –तरह के बाते बोलते ताने
कसते मै कुछ नहीं बोली सहती गई कुछ दिन जब बित गया तो मुझे मेरे पति ,सास ,ससुर और
ननद सब मिलकर मारने लगे की तुम लड़की को पैदा की है तुम बेटा पैदा नहीं कर सकती थी
मेरी ननद अपने घर छोड़कर मायके में रहती है और मुझसे झगडा करती है मै ये बात को
गाँव के मुख्य लोग को बताई पर उनलोग ने ध्यान नहीं दिए फिर
मै अपने मायके फ़ोन की उसके बाद मेरे पिताजी आये और माझे ही समझा कर चले आये मै उसी
तरह रह रही थी फिर मै २०१५ में माँ बनी इसके बाद उनलोग मुझे इतना मार पिट करने लगे
की सहने की छमता ख़त्म हो गई गाँव वाले के पास फिर गई वे लोग बोले की तुम्हारे घर
की बात है तुमलोग अपने में समझ लो मेरी सहयता किसी ने नहीं की इतना ही नहीं मुझे
घर में रहने नहीं देते है कहते है की तुम अपने बाप घर से तीनो बेटी के लिए पैसा
मांग कर लावो तो तुम्हे हमलोग रहने देंगे तुम तीनो बेटी को पैदा की है इसका शादी
कौन कर देगा कहाँ से पैसा लायेंगे उनलोग
बिना गुनहा के मुझसे बात .बात पर गलती निकालकर मार –पिट करते थे घर के कोई सामान
को छूने नहीं देते है मुझे घर के बाहर गौहाल में रहने देते है एक बात और बताती हूं
की मेरे पति पहले ही शादी –शुदा थे और ये बात किसी को पता नहीं था वे झूठ बोलकर
मुझसे शादी किये थे |पहली पति को जान से मारकर फेक दिए थे और यही बात मुझपर
दोहराते है की मै तुम्हे भी मारकर फेक दूंगा |कोई कुछ नहीं करेगा अब मै कैसा रहू
उस घर में मेरी बच्ची को कोई नहीं बात करता है उनलोग से कोई प्यार नहीं करते है
|मै अपने पति के साथ रहना चाहती हूं |उनकी भविष्य की चिंता है मुझे न्याय चाहिए
साक्षात्कारकर्ता पीड़ित का
हस्ताक्षर
वंदना चन्द्रवंशी मधु देवी
No comments:
Post a Comment