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Saturday, 19 August 2017

झारखण्ड के गुमला जिले में सदर अस्पताल द्वारा रिम्स रांची रेफर कर एम्बुलेंस नहीं देने के कारण नवजात बच्चे की मौत हो जाने के सम्बन्ध में

सेवा में
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली

विषय : - झारखण्ड के गुमला जिले में सदर अस्पताल द्वारा रिम्स रांची रेफर कर एम्बुलेंस नहीं देने के कारण नवजात बच्चे की मौत हो जाने के सम्बन्ध में

महोदय
हम आपका ध्यान झारखण्ड के गुमला जिले के सदर अस्पताल की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहूँगा। जहा पर सरिता देवी (विधवा) ने अपने 3 साल के बच्चे का इलाज करवाने आई जहा के डाक्टर ने उसे रांची रिम्स रेफर कर दिया। पीडिता के गाव दूर रहने के कारण वह अपने बच्चे बिफैया को ले कर पैदल चलने लगी जहा रस्ते में उसकी मौत हो गई। सरिता उराइन को कुछ समझ नहीं आ रहा था. वह बार-बार बिफैया को झकझोर कर जगाने की कोशिश कर रही थी. 
वहीं उसका बड़ा भाई परदेसिया भी उसे उठाने की कोशिश कर रहा था. थोड़ी देर बाद उन्हें जब लगा कि उनका कलेजे का टुकड़ा अब इस दुनिया में नहीं रहा, तो दोनों का धैर्य जवाब दे दिया. बीच सड़क पर ही दोनों मां-बेटे रोने लगे. वह बार-बार कह रही थी, कि जिस गोद में खेलाया, उसी गोद में बच्चे ने दम तोड़ दिया.    उसने कहा कि बिफैया को रांची भेजा जाता, तो बच जाता. सदर अस्पताल में इलाज के नाम पर बुखार की कुछ दवा व दो बोतल स्लाइन चढ़ाया गया था.अस्पताल प्रबंधन ने रांची भेजने की व्यवस्था नहीं की मां सरिता उराइन ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से रांची भेजने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी. इस कारण वह अपने बच्चे को लेकर पैदल घर जा रही थी.यह खबर देनिक अख़बार प्रभात खबर में प्रकाशित किया गया जिसका लिंक http://www.prabhatkhabar.com/news/gumla/the-child-rehearsed-the-money-was-not-returned-the-mother-was-returning-to-the-pedestrian-the-innocent-in-the-lap-broke-gumla/1040543.html संलग्न है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है की उक्त घटना की न्यायिक जाँच कर दोषी डाक्टर पर कार्यवाही की जाए। साथ ही पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपया मुआवजा भुगतान किया जाए। कार्यवाही की एक प्रति हमें भी उपलब्ध कराइ जाए।
भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
मानवाधिकार कार्यकर्त्ता
डोमचांच कोडरमा झारखण्ड
संपर्क 9934520602

खबर विस्तार से

गुमला : गुमला के सदर अस्पताल में भरती बच्चे बिफैया उरांव (एक वर्ष) को डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए रिम्स (रांची) रेफर कर दिया. गरीब और बेबस विधवा मां सरिता उराइन ने अस्पताल प्रबंधन से रांची भेजने की व्यवस्था करने को कहा. उसने कहा कि उसके पास रांची जाने के पैसे नहीं है, लेकिन उसकी बेबसी का असर किसी पर नहीं पड़ा. कोई उम्मीद दिखायी नहीं देने पर उसने अपने बीमार बेटे को घाघरा स्थित बरांग गांव ले जाने का निर्णय लिया.  
 गुमला से उसके गांव की दूरी करीब 50 किमी है. बस भाड़ा भी नहीं होने के कारण सरिता बीमार बच्चे बिफैया को गोद में लेकर पैदल ही गांव जाने लगी. साथ में उसका बड़ा बेटा परदेसिया (6) भी पैदल चल रहा था. तीनों गुमला सदर अस्पताल से 10 किमी दूर टोटो पहुंचे ही थे, कि मां की गोद में ही बीमार बेटे ने दम तोड़ दिया.  सरिता उराइन को कुछ समझ नहीं आ रहा था. वह बार-बार बिफैया को झकझोर कर जगाने की कोशिश कर रही थी. 
वहीं उसका बड़ा भाई परदेसिया भी उसे उठाने की कोशिश कर रहा था. थोड़ी देर बाद उन्हें जब लगा कि उनका कलेजे का टुकड़ा अब इस दुनिया में नहीं रहा, तो दोनों का धैर्य जवाब दे दिया. बीच सड़क पर ही दोनों मां-बेटे रोने लगे. वह बार-बार कह रही थी, कि जिस गोद में खेलाया, उसी गोद में बच्चे ने दम तोड़ दिया.    उसने कहा कि बिफैया को रांची भेजा जाता, तो बच जाता. सदर अस्पताल में इलाज के नाम पर बुखार की कुछ दवा व दो बोतल स्लाइन चढ़ाया गया था.
अस्पताल प्रबंधन ने रांची भेजने की व्यवस्था नहीं की
मां सरिता उराइन ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से रांची भेजने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी. इस कारण वह अपने बच्चे को लेकर पैदल घर जा रही थी. जबकि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बच्चे के इलाज की पूरी व्यवस्था की गयी थी. पांच दिन से बच्चे का इलाज चल रहा था. शुक्रवार को उसकी मां बीमार बच्चे को चुपचाप लेकर अस्पताल से चली गयी.
कोट
सरिता अपने बीमार बच्चे को गोद में लेकर घर जा रही थी. टोटो के समीप गोद में ही बच्चे ने दम तोड़ दिया. यह सदर अस्पताल की लापरवाही है. इसकी जांच हो और दोषी पर कार्रवाई की जाये.
सिकंदर मांझी, सदस्य, जिला बीस सूत्री, गुमला
13 अगस्त को बच्चे को गुमला सदर अस्पताल में भरती किया गया था. उसे बुखार था और पेट में जख्म भी. संभवत: टीवी भी था. इसकी जांच चल रही थी. रेफर नहीं किया गया था.  मां बच्चे को लेकर अस्पताल से चली गयी.
 डॉ आरएन यादव, उपाधीक्षक, गुमला अस्पताल
 गुमला से 50 िकमी दूर है गांव, 10 िकमी ही चली थी, तभी हो गयी मौत
बच्चे का पांच दिन से अस्पताल में इलाज चल रहा था
बुखार और पेट में जख्म था, टीबी की भी जांच चल रही थी
घाघरा प्रखंड के बरांग गांव की रहनेवाली है सरिता देवी
पति की हो चुकी है मौत
विधवा सरिता उराइन (पति-स्व मंगल उरांव) का घर घाघरा प्रखंड के बरांग गांव में है. गुमला से बरांग की दूरी 50 किमी है. सरिता ने कहा कि 13 अगस्त से बीमार बेटे का इलाज गुमला सदर अस्पताल में चल रहा था. शुक्रवार को डॉक्टर ने कहा कि स्थिति नाजुक है. रांची ले जाना होगा और बच्चे को रेफर कर दिया. पैसे नहीं थे, कैसे रांची जाती. 
मां सरिता ने कहा : रिम्स रेफर कर दिया, पैसे नहीं थे, इसलिए बच्चे को लेकर घर जा रही थी
अस्पताल प्रशासन ने कहा : बिना डिस्चार्ज  के बच्चे को लेकर चली गयी  महिला
लोगों ने चंदा कर दिया पैसा 
 गोद में मासूम की मौत होने से मां सरिता व बड़ा पुत्र परदेसिया बीच सड़क पर ही शव रख कर रोने लगे. इसी बीच वहां से गुजर रहे बीस सूत्री सदस्य सिकंदर मांझी व अन्य ने  चंदा कर पैसे जुटाये और बेबस मां को दिया. साथ ही  सरिता व उसके बच्चे को घर जाने के लिए टेंपो की भी व्यवस्था करायी.

1 comment:

  1. The NHRC has issued direction on Case No.-1108/34/10/2017. For more details visit NHRC website www.nhrc.nic.in on next working day

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