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Wednesday 20 December 2017

झारखण्ड के कोडरमा जिले के डोमचांच प्रखंड के ढोढाकोला पंचायत के सितवाजमुनिया मध्य विद्यालय में 324 बच्चो पर 3 शिक्षक रहने के सम्बन्ध में

सेव में
श्रीमान अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली

विषय:- झारखण्ड के कोडरमा जिले के डोमचांच प्रखंड के ढोढाकोला पंचायत के सितवाजमुनिया मध्य विद्यालय में 324 बच्चो पर 3 शिक्षक रहने के सम्बन्ध में

महोदय
हम आपका ध्यान झारखण्ड के कोडरमा जिले के डोमचांच प्रखंड के ढोढाकोला पंचायत के सितवा जमुनिया स्थित मध्य विद्यालय की ओर आकृष्ट कराना चाहूँगा जहा पर मात्र 3 शिक्षक के भरोसे 324 छात्र छात्राओ का भविष्य चल रहा है। यह मामला दैनिक अख़बार रांची एक्सप्रेस में 15 दिसंबर 2017 को प्रकाशित की गई जिसका लिंक http://www.ranchiexpress.com/category/rashtriya/jharkhand/--552918 संलग्न है।
अतः महोदय से नम्र निवेदन है की उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल उस विद्यालय में शिक्षक की बहाली की जाए और कार्यवाही की एक प्रति हमें भी उपलब्ध कराया जाए।
भवदीय
ओंकार विश्वकर्मा
मानवाधिकार कार्यकर्त्ता
डोमचांच कोडरमा झारखन्ड
संपर्क 9934520602

खबर विस्तार से

कोडरमा : कोडरमा जिले मे शिक्षा के गिरते स्तर के कारण उसकी गुणवत्ता पर प्रश्न खड़ा होना लाजिमी है। लेकिन इस बात के जिम्मेदार कौन लोग है । इस ओर न तो राजनीतिक मंथन हो रहा ना ही सामाजिक चितंन किया जा रहा है। यह हाल शिक्षा मंत्री के गृह जिले का है, तो झारखंड राज्य के अन्य जिलों मे क्या हो रहा होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है। बातें शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की अक्सर सुनने मे आती है। किन्तु सुधार कहीं नजर नहीं आता है। हालांकी इसके लिए शिक्षक भी बराबर के दोषी माने जायेंगे। आये दिन किसी मुद्दे को लेकर हड़ताल पर चले जाना और स्कूलों की छुट्टी हो जाना आम हो गया है। शिक्षार्थी शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यालय जाते है। लेकिन वहां शिक्षक ही नदारद रहते है। ऐसे मे शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रश्न लगना लाजिमी है। आज शिक्षा बाजारीकरण का दंश झेल रही है। इस ओर शासन की गंभीरता का आलम यह है कि वह कई योजनाएं शिक्षा के बेहतरी के लिए चला रहा है। लेकिन उन योजनाओ की दशा और दिशा की ओर कोई सकारात्मक पहल नहीं हो रही है। जिस कारण योजनाओं का सही लाभ नहीं मिल पा रहा है। हलांकी शिक्षकों की बेहतरी के मामले शासन का नजरिया सकारात्मक नहीं होना ही इस गिरते स्तर का प्रमुख कारण है। सर्व शिक्षा योजना के माध्यम से स्कूल न जाने वाले बच्चों का रूझान स्कूलों की तरफ होना यह साबित करता है कि शिक्षा पाने के लिए हर कोई गंभीर है। लेकिन शासकीय व्यवस्था को देख कर लोगों का मोह भंग हो रहा है। जिससे पैसे वालों के बच्चें निजी स्कूलों मे पढ़ाई करते है और गरीब बच्चे सरकारी शिक्षा का अभिशाप झेलने के लिए विवश है। एक यह भी सच है की कोडरमा के डोमचांच प्रखंड अंतर्गत ढोढाकोला पंचायत के राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय में 324 छात्र छात्राएं पढ़ते हैं, उन्हें पढ़ाने के लिए आठ की जगह तीन ही शिक्षक कार्यरत हैं ,जिससे विद्यार्थियों के पठन पाठन पर बुरा प्रभाव पढ़ रहा है। यह तथ्य भी गौर करने लायक है की ये राज्य के शिक्षा मंत्री नीरा यादव का गृह जिला भी है, शिक्षकों ने बताया की इसकी शिकायत वो पिछले तीन साल से कर रहे हैं, हर महीने अधिकारी रिपोर्ट लेने आते हैं और लिखकर ले जाते हैं, परन्तु आज तक कोई पहल नहीं हो सका है, वही दूसरी ओर कोडरमा के गाँधी हाई स्कूल मे मात्र तीन शिक्षकों के भरोसे चल रहा। 

स्कूल में 300 छात्रों के लिए बारह शिक्षक चाहिए। सरकार शिक्षा के नाम पर करोड़ो रुपये खर्च कर रही है, उच्च विद्यालय को टेन प्लस टू कर रही, स्कूल भवनों का उद्घाटन कर रही लेकिन शिक्षा गुणवत्ता की बात करे तो सरकार के सारे दावें जमीनी हकीकत से परे नज़र आता है।

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