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Friday, 29 December 2017

विकासवाद की गोद में पल रहा कुपोषण : संसद के आदर्श गाँव ढाब बिरहोर टोला में

 झारखण्ड का कोडरमा जिला, झारखण्ड के राजनीत और सत्ता में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है! पर राजनीत के आंधी में कोडरमा जिले का कई कोना अंधेरे के चपेट में, और अनसुना है जो कभी राजनीत का मुद्दा नहीं बना और वह है कोडरमा का बिरहोर समुदाय! बताते चले की झारखण्ड में बिरहोरों की कुल आबादी 7000 के लगभग है और कोडरमा में अकेले मात्र लगभग 3000 की आबादी निवास करता है! पर आज भी यह समुदाय के जीविका को देखे तो कोडरमा का अँधेरा कोना नजर आता है. जो कभी राजनितिक मुद्दा नहीं बना है! हमारा देश का संविधान अनुच्छेद 21 देश के हर नागरिक को मानवीय गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार देता है और उसकी बहाली की जिम्मेवारी देश के सरकार की होती है पर आज हासिये पर खड़ा बिरहोर समुदाय को भोजन, पानी, आवास, और स्वास्थ्य सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है! जी हां हम बात कर रहे है कोडरमा जिला का डोमचांच प्रखंड का ढाब पंचायत जिसे कोडरमा के संसद ने गोद ले रखा है  जब से उस पंचायत को गोद लिया गया है
संसद महोदय ने ढाब में कई सभाए की और विकास की लकीर को बड़ा करने के लये आला अधिकारियो को कई आदेश दिए पर उनके जाने के बाद आदेशो का ढाक के तीन पात नजर आती है!

हम ले चलते है आपको ढाब के नावाडीह बिरहोर टोला जहा बिरहोर समुदाय का लगभग 15 परिवार रहता है पर उन बिरहोरो को आज भी उनके मुलभुत अधिकार की बहाली के लिए स्थानीय प्रशाशन द्वारा कोई भी कदम नहीं उठाया गया! सरकार के योजनाओ की सूची में इस समुदाय के संरक्षण के लिए करोडो रूपये हर साल खर्च करने की बात सामने आती है! और इनके लिए अलग योजना चलने की बात आती रही है!  पर वर्तमान में डोमचांच के ढाब पंचायत के नवाडीह बिरहोर टोले की देखे तो हालत यह की वहा पर पिछले एक माह से कई बच्चे बिरहोर बच्चे 1.राजू बिरहोर,6 पिता छतर बिरहोर,2. कुंदन बिरहोर,4 पिता सुनील बिरहोर,3. नुख्ररी बिरहोरनी10, व् रेखा बिरहोर के अलावे अन्य कई बच्चे है जो कुपोषण के साथ साथ रोग ग्रसित और बीमार दिखते है तो वही दूसरी ओर रेखा बिरहोरनी 4 और राजू बिरहोर 7 गम्भीर कुपोषण के शिकार दिख रहे है! उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं नहीं! निन्नमुनी बिरहोरनी बताती है की  एक बार वह घर में सोई थी तभी घर का छत उसके ऊपर गिर गया और कमर में चोट लगा वह आगे बताती है की उसे माह से कमर में दर्द है जिसके कारण वह चल फिर नहीं पा रही है कोई डाक्टर भी नहीं आता जिसे इलाज करने के लिए कहे! वही उसी गाँव की पूजा बिरहोरनी बताती है की उसके गाँव में पीने की पानी की समस्या है! राशन डीलर अनाज नहीं देता है! घर जर्जर हालत में है कब गिर जायेगा कहना मुश्किल है। गन्दा पानी पिने को विवस है हमलोग। इस मामले में जब स्थानीय मुखिया से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा की उन लोगो का आधार कार्ड नहीं बना है जिस कारण उन लोगो को सरकार की कोई भी सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है! पानी की समस्या पर पूछा गया तो उन्होंने कहा की हम कोशिश करेंगे की उस गाँव में एक चापाकल दिया जाए और इसके लिए पीएचडी विभाग को सुचना दिया गया है! संसद के कार्य की जानकारी लि गई जिस पर वो बताती है की जब पंचायत को गोद लिया गया था तो यहाँ के ग्रामीणों में उम्मीद की किरण दौड़ी थी पर वह किरण अब आँख का पानी बन कर रह गया है!   

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